NTA-NET (UGC-NET) Hindi (20) हिन्दी साहित्य का इतिहास (History of Hindi Literature)-हिन्दी संत-काव्य (Hindi Saint Poet) Study Material (Page 6 of 6)

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संत परंपरा में कवियों ने महत्वपूर्ण योगदान – मलूकदास

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  • निर्गुण शाखा के संतों में संत मलूक का भी महत्वपूर्ण स्थान है। इनका जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले में ′ कड़ा ′ नामक स्थान में सं. 1631 में वैशाख कृष्ण 15 अमावस्या के दिन हुआ था। इनके पिता सुन्दरलाल खत्री थे। महात्मा मुरारी से इन्होंने धर्म-दीक्षा ली। गृहस्थ जीवन का पालन करते हुए मलूक दास ने संतों के साहित्यिक जीवन का निर्वाह किया है। इनके नाम से एक अलंग पंथ प्रचलित हुआ है। दीर्घकालीन जीवन बिताकर सं. 1739 में मलूकदास ने परलोक गमन किया। मलूकदास मुगल बादशाह औरंगजेब के समकालीन थे। ′ ज्ञान बोध, रतनखान, भक्त बच्छावली, गुरु प्रताप, पुरुषविलास, अल…

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संतकाव्य

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संतकाव्य:- निर्गुण भक्तिधारा, सगुण भक्तिधारा

भक्तिकाल की प्रवृत्तियाँ

  • निर्गुण काव्यधारा की विशेषताएँ:
  • गुरुमहिमा का बखान (सद्गुरु की भक्ति)
  • ईश्वर के निराकार रूप् में आस्था
  • जाति पाँति का विरोध
  • रहस्यवादी भावना
  • माया का अस्तित्व
  • अवतारवाद का खंडन
  • पाखंड व रूढ़िवादिता का विरोध
  • लोकसंग्रह भाव
  • नारी के प्रति दृष्टिकोण (माया रूप)

विशेष-सूफी काव्य में हिन्दू प्रेम कथाओं का आधार मानकर लौकिक प्रेम से अलौकिक प्रेम की पुष्टि की गई। इसमें श्रृंगार रस को प्रमुखता मिली तथा सूफी सिद्धांतों का प्रतिपादन किया गया। अनेक प्रबंध काव्यों की रचना की गई।

(क) निर्गुण भक्तिधारा में ज्ञानमार्गी शाखा (संतकाव्य)

The …

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