NTA-NET (UGC-NET) Hindi (20) हिन्दी भाषा और उसका विकास और साहित्य (Hindi & Its Development)-हिन्दी प्रसार आंदोलन (Hindi Spreading Movement) Study Material (Page 4 of 25)
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स्वराज्य आंदोलन का प्रभाव
बंगाल, महाराष्ट्र और उत्तर भारत में नए धार्मिक आंदोलनों के विरुद्ध पुनरुत्थानवादी प्रतिक्रियाएँ आरम्भ हुईं। बंगाल में राधाकांत देव ने राजा राममहोन राय के ब्रह्यसमाज के विरोध में धर्म सभा (1830 ई.) की स्थापना की थी। पर 1957 तक वह समाज का प्रभाव कम नहीं कर सकी। किन्तु 1957 के विद्रोह के बाद सुधारवादी रेडिकल्स का जोर कम हो गया और पुरातनवादी मनोवृत्तियाँ उभरकर सामने आई। सन् 1858 के अनंतर बंगाल में दो प्रवृत्तियों का अधिक जोर था- जो निम्न हैं-
- राष्ट्रीयतावादी विदेशी सत्ता के विरुद्ध आक्रोश
- गांव की बढ़ती हुई गरीबी के प्रति सहानुभूति, स्वतंत्रता और समानता के प्रति आग्रह आदि क्रियाशील थे।
- अतीत के गौरव के प्रति जाग्रति फेलाने का श्रेय उन पुरातत्त्वेत्ताओं और पुरालेखविदों के मुद्राशास्त्रियों को है …
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पश्चिमीकरण की प्रक्रिया
- नए अर्थ-तंत्र शिक्षा-प्रणाली, संचार-जाल आदि के कारण पश्चिमीकरण की प्रक्रिया का आरम्भ होता हैं। बहुत से लोग इसे पश्चिमीकरण न कह कर आधुनिकीकरण कहते हैं। पश्चिमीकरण शब्द का प्रयोग बहुत संगत नहीं हैं। क्योंकि स्वयं पश्चिम को बहुत सी बातें पूर्व से मालूम हुई हैं, जैसे मुद्रण-यंत्र का आविष्कार सबसे पहले चीन देश में हुआ। एम. एन. श्रीनिवास ने ′ आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन पुस्तक में लिखा हैं- “भारतीयों को केवल स्याही सोख का दर्जा देना तो स्पष्ट ही वाहियात है। यह कहना ठीक नहीं कि जिस किसी बात के संपर्क में वे आए वह सब उन्होंने आत्मसात् किया उसे द…
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