NTA-NET (UGC-NET) Hindi (20) भक्ति काव्य (Bhakti Poetry)-भक्ति काल की पूर्व पीठिका (Bhakti Period Prelude Proven Literature) Study Material (Page 6 of 8)
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‘पदमावत’ व्याख्या (नागमती वियोग-खण्ड) - दूभर-कठिन
अगहन देवस घटा निसि बाढ़ी। दूभर दुख सो जाई किमि काढ़ी।
अब धनि देवस बिरह भा राती। जरै बिरह ज्यों दीपक बाती।
काँपा हिया जनावा पीऊ। तौ पे जाई होइ सँग पीऊ।
घर घर चीर रचा सब काहूँ। मोर रूप रँग लै गा नाहूँ।
पलटि न बहु रागा जो बिछोई। अबहूँ फिरै रँग सोई।
सियरि अगिनि बिरहनी हिय जारा। सुलगि सुलगि दगधै भै छरा।
यह दुख दगध न जानै…
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‘पदमावत’ व्याख्या (नागमती वियोग-खण्ड) - मौकहँ- मुझे
तपै लाग अब जेठ असाढ़ी। भै मोकइँ यह छाजनि गाढ़ी।
तन तिनुवर भा झूरौ खरी। भै बिरहा आगरि सिर परी।
साँठि नाहिं लगि वात को पूँछा। बिनु जिय भएउ मूँज तन छूँछा।
बंध नाहिं औ कंध न कोई। बाक न आव कहौं केहि रोई।
ररि दुवरि भई टेक बिहुनी। थंम नाहिं उठि सके न थूनी।
बरिसहिं नैन चुअहिं घर माहाँ। तुम्ह बिनु कंत छाजन छाँहाँ।
को …
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