IAS (Admin.) Mains Hindi Literature History of Hindi Literature-Literary Trends of the Following Four Periods of History of Hindi Literature Study Material (Page 24 of 178)

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राग एवं रागानुमा, मधुर एवं प्रीति-भाव:

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  • इन लोगों की भक्ति में विशिष्ट द्धैतवादियों की भक्ति का सा प्रेम एवं श्रद्धा दोनों का समबल योग नहीं हैं। यहाँ केवल ‘प्रेम’ रूप ही भक्ति है, श्रद्धा गौण है। इस भक्ति को ‘रागानुगा’ कहते हैं। निसर्गत: उद्रिक्त वृत्ति ही राग है। जीव गोस्वामी ने गोपियों की रति को ‘मधुरारति’ कहा है …

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कृष्ण काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियाँ (विशेषताएँ)

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  • उपर्युक्त कृष्णकाव्य की सर्वप्रथम प्रवृत्ति है- कृष्ण के लीला-रूप का अंकन। यूं परंपरा में कृष्ण और उनका चरित्र अपने विविध रूपों में चला आ रहा था, मगर इन कवियों ने कृष्ण के बाल और किशोर रूपों का ग्रहण किया वह भी मुख्यत: लौकिक रूप में है। इनके कृष्ण मुख्यत: बाल सुलभ क्रीड़ाएँ करने वाले साधारण ग्रामीण बालक हैं या फिर ′ रसिक शिरोमणि गोपी वल्लभ। यूं कहीं-कहीं उनका लोकनायक और ब्रह्यत्व भी मुखर हुआ मिलता है, यथा कंसादि-वध और विनय पदों में हैं। दृष्टव्य बात यह है कि कृष्ण जीवन के इन दोनों पक्षों का जितना स्वाभाविक, यथार्थ मनोविज्ञान सम्मत और भावों-प्रेरक चित्रण इस काव्य में उपलब…

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