IAS (Admin.) Mains Hindi Literature History of Hindi Literature-Literary Trends of the Following Four Periods of History of Hindi Literature Study Material (Page 122 of 178)

Choose Programs:

🎓 Study Material (757 Notes): 2024-2025 Syllabus

Rs. 800.00 -OR-

3 Year Validity (Multiple Devices)

Topic-wise Notes & SampleDetails

🎯 76 Questions (& PYQs) with Full Explanations (2024-2025 Exam)

Rs. 300.00 -OR-

3 Year Validity (Multiple Devices)

CoverageDetailsSample Explanation

Help me Choose & Register (Watch Video) Already Subscribed?

कबीर (संपादक हजारी प्रसाद दव्वेदी) Part - 3

Edit

इक विधि रामसूं ल्यौ लाई।

चरन पाबैं निरति करि, जिभ्या बिना गुंण गाइ।।

जहाँ स्वाँति बूँद न सीप साइर, सहजि मोती होई।

उन मोतियन मैं नीर पोयौ, पवन अम्बर धोई।।

जहँ धरनि बरषै गगन भीजै, चन्द-सूरज मेलि।

दोई मिलि तहाँ जुड़न लागे, करत हंसा केलि।।

एक बिरष भीतर नदी चाली, कनक कलस समाई।

पंच सुवटा आई बैठे, उदै भई बनराइ।।

जहाँ बिछुट्‌यौ तहाँ लग्यौ गगन बैठो जाइ।

ज्न कबीर बटाऊवा, जिनि मारग लियौ चाइ।।

  • प्रसंग- पूर्व…

… (18714 more words) …

Subscribe (by clicking here) to view full notes and track progress.

कबीर (संपादक हजारी प्रसाद दव्वेदी) Part - 4

Edit

अब तोहि जान न देहूँ राम पियारे,

ज्यूँ भावे त्यूँ होह हमारे।

बहुत दिनन के बिछुरे हरि पाए

भाग बड़े घर बैठे आए।

च्रननि लागि करौं बरियाई,

प्रेम-प्रीति राखौं उरझाई।

छत मन-मंदिर रहौ नित चोषै,

कहै कबीर परहु मति धोषे।।

  • संदर्भ- जीवात्मा को परमात्मा की प्राप्ति हो गई। अब वह उन्हें अपने मन मंदिर से दूर नहीं करना चाहती।
  • व्याख्या-आत्मा कहती है कि मेरे प्रिय राम! मैं अब तुम्हें कहीं और नहीं जाने दूँगी…

… (15930 more words) …

Subscribe (by clicking here) to view full notes and track progress.