IAS (Admin.) Mains Hindi Literature Criticism-The Origin and Development of Hindi Criticism Study Material (Page 2 of 4)

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प्रमुख आलोचनात्मक पद्धतियाँ

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दार्शनिक और वैज्ञानिक अनुशासन- छायावादोत्तर काल के समीक्षकों में डा. देवराज दार्शनिक अनुशासन के आलोचक हैं वे साहित्य को व्यापक सर्वांगीण सांस्कृति चेतना से संपृक्त देखना चाहते हैं लेखक तथा आलोचक दोनों के लिये उन्होंने शास्त्रीय ग्रंथों के परिशीलन को आवश्यक माना …

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काव्य हेतु

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प्रस्तावना (Preface)

कवि को प्रजापति (ब्रहमा) के समानांतर सृष्टिकर्ता स्वीकार किया गया है। ध्वन्यालोककार ने लिखा है कि कवि काव्य रूपी संसार का विलक्षण सृष्टिकर्ता है, जिसकी भावना के अनुसार इस विश्व के नियम बदलत रहते हैं। कवि में ऐसी विलक्षण शक्ति होती है कि वह अचेतन पदार्थ को चेतन रूप में और चेतन पदार्थ को अचेतन रूप में परिवर्तित कर देता है। विचारणीय तथ्य यह है कि कवि में ऐसी कौन-सी शक्ति होती है, जिसके दव्ारा वह सामान्य मानव होते हुए भी काव्य रचना के दव्ारा असाधारण कार्यो को संपन्न कर पाता है।

भारतीय और पाश्चात्य आचार्यो एवं चिंतकों के अनुसार वह शक्ति प्रतिभा है। प्रतिभा के अतिरिक्त व्युत्पत्ति और अभ्यास भी काव्य-हेतुओं के अंतर्गत हैं। प्रतिभा के विषय में कि यह अलौकिक है या …

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