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History of Hindi Language and Nagari Lipi (24)
Applied Forms of Apbhransh (9)
- 1
- हिन्दी भाषा और उसका विकास
- भारतीय आर्य भाषाए
- 2
- बोलियां
- अपभ्रंश की विशेषताएं
- 3
- अवहट्ट भाषा
- पुरानी हिन्दी
- 4
- अप्रभंश (अवहट्ट सहित) और पुरानी हिन्दी का संबंध
- अपभ्रंश व पुरानी हिन्दी में अंतर
- 5
- संपर्क भाषा
Development of Khari-Boli (9)
- 1
- हिन्दी की बोलियां-वर्गीकरण तथा क्षेत्र
- हिन्दी बोलियां
- 2
- राज्यवार बोलियों की विद्यमानता
- साहित्यिक हिन्दी के रूप में खड़ी बोली का विकास
- 3
- साहित्यिक खड़ी बोली का विकास
- खड़ी बोली में गद्य का विकास
- 4
- बीसवीं सदी में साहित्यिक खड़ी बोली
- काव्यभाषा के रूप में खड़ी बोली
- 5
- समकालीन काव्यभाषा की स्थिति
Standardisation of Hindi Bhasha (6)
- 1
- मानक हिन्दी भाषा का वैज्ञानिक वितरण (रूपगत)
- मानककीरण की प्रक्रिया चार चरण
- 2
- नागरी लिपि का विकास और उसका मानकीकरण
- देवनागरी लिपि में सुधार और संशोधन
- 3
- देवनागरी लिपि की वैज्ञानिकता
- देवनागरी लिपि का मानकीकरण
History of Hindi Literature (386)
The Relevance and Importance of Hindi Literature (63)
- 1
- निर्गुण काव्य
- प्रमुख निर्गुण एवं सगुण संप्रदाय
- 2
- प्रमुख निर्गुण संत कवि
- प्रमुख निर्गुण संत कवि - रामानंद
- 3
- प्रमुख निर्गुण संत कवि – कबीरदास
- प्रमुख निर्गुण संत कवि – रैदास
- 4
- प्रमुख निर्गुण संत कवि – नानकदेव
- प्रमुख निर्गुण संत कवि – जन्मनाथ
- 5
- प्रमुख निर्गुण संत कवि - हरिदास निरंजनी
- प्रमुख निर्गुण संत कवि – सींगा
- 6
- प्रमुख निर्गुण संत कवि – लालदास
- प्रमुख निर्गुण संत कवि - दादूदयाल
- 7
- प्रमुख निर्गुण संत कवि – मलूकदास
- प्रमुख निर्गुण संत कवि - बाबा लाला
- 8
- प्रमुख निर्गुण संत कवि – सुन्दरदास
- भक्तिकाल में संत
- 9
- संत सदना
- भक्तिकाल में सगुण काव्य - स्वामी रामानंद
- 10
- भक्तिकाल में सगुण काव्य - अग्रदास
- भक्तिकाल में सगुण काव्य - ईश्वरदास
- 11
- भक्तिकाल में सगुण काव्य - गोस्वामी तुलसीदास
- भक्तिकाल में सगुण काव्य - नाभादास
- 12
- भक्तिकाल में सगुण काव्य - केशवदास
- भक्तिकाल में सगुण काव्य - सेनापति
- 13
- वैष्णव भक्ति की सामाजिक -सांस्कृतिक पृष्ठीभूमि
- भक्ति आंदोलन का अखिल भारतीय स्वरूप और उसका: प्रादेशिक वैशिष्ट्य
- 14
- रासो साहित्य
- हास्य मिश्रित रासो ग्रंथ
- 15
- पृथ्वीराज रासो
- चन्दबरदाई व्यक्तित्व एवं कृतित्व
- 16
- रासो का कथानक
- रासो संबंधी विवाद: प्रमाणिकता और अप्रमाणिकता
- 17
- रासों को अप्रमाणिकता के पक्ष में तर्क
- रासो की प्रमाणिकता के पक्ष में विचार
- 18
- भक्तिकाल
- भक्ति आंदोलन के उदय के परिस्थितियाँ व सामाजिक कारण
- 19
- लोक पक्ष
- सूफी काव्य धारा
- 20
- भक्ति आन्दोलन के उदय के सांस्कृतिक परिस्थियाँ व कारण
- भक्तिकाव्य में लोकधर्म
- 21
- जैन साहित्य
- सिद्ध साहित्य
- 22
- नाथ-साहित्य
- अमीर खुसरों की हिन्दी कविता
- 23
- विद्यापति और उनकी पदावली
- आरंभिक गद्य तथा लौकिक साहित्य
- 24
- गद्य-साहित्य
- हिन्दी साहित्य का इतिहास
- 25
- हिन्दी साहित्य का इतिहास दर्शन
- हिन्दी साहित्य का इतिहास लेखन की पदव्तियाँ
- 26
- हिन्दी साहित्य का इतिहास का ग्रंथ
- हिन्दी के प्रमुख साहित्यिक केन्द्र व संस्थाएँ
- 27
- हिन्दी के प्रमुख पत्र-पत्रिकाएँ
- हिन्दी साहित्य के इतिहास का काल-विभाजन और नामकरण
- 28
- आदिकाल
- हिन्दी के विकास-क्रम का रूप
- हिन्दी साहित्य का आरंभ कब और कैसे
- 29
- आदिकाल के समय का निर्धारण
- आदिकाल - वर्गों में विभाजित
- 30
- आदिकाल में विद्यापति
- पदावली का साहित्यावलोकन
- 31
- आदिकाल के प्रमुख कवि तथा उनकी रचनाएँ
- आदिकाल में नाथ साहित्य
Tradition of Writing History of Hindi Literature (50)
- 1
- काव्य के तत्व
- शब्द शक्तियाँ
- 2
- ध्वनि का स्वरूप
- अलंकार
- 3
- शब्दालंकार, अर्थालंकार
- मुख्य अर्थालंकार
- 4
- साहित्य रचना-
- साहित्य रचना के लिए काव्य हेतु निम्न
- 5
- काव्य प्रयोजन
- पाश्चात्य सिद्धांत
- 6
- नोबेल पुरस्कार
- साहित्य और काव्य
- 7
- काव्य
- संप्रदाय
- 8
- निर्णय
- काव्य के भेद
- 9
- काव्य के मुख्य भेद
- संस्कृत एवं हिन्दी के महाकाव्य
- 10
- खंडकाव्य
- गीति काव्य के अंतर्गत मुक्तक काव्य
- 11
- गीतिकाव्य के प्रकार
- गद्य रचना
- 12
- रस
- रस का महत्व
- 13
- भरतमुनि
- व्याख्याकार
- 14
- रस के अवयव या भाव
- साधारणीकरण
- 15
- साधारणीयकरण में आचार्यों के विचार
- पं. रामचंद्र शुक्ल
- 16
- गोविदं ठक्कर
- आचार्य विश्वनाथ
- 17
- पंडितराज जगन्नाथ
- बाबू गुलाबराय
- 18
- रीति
- गुण
- 19
- दोष
- मिथक
- 20
- कल्पना
- प्रतीक
- 21
- बिम्ब
- स्वच्छंंदतावाद और यथार्थवाद
- 22
- सरंचनावाद
- उत्तर संरचनावाद
- 23
- आधुनिकतावाद
- उत्तर- आधुनिकतावाद
- 24
- समकालीन आलोचना की कतिपय अवधारणाएँ
- विडंबना (आयरनी)
- 25
- अजनबीपन (ऐलियनेशन)
- विखंडन (विनिर्मितवाद) (डी-कान्स्ट्रक्सन)
Literary Trends of the Following Four Periods of History of Hindi Literature (257)
- 1
- हिन्दी प्रसार के आंदोलन
- ब्रह्यसमाज
- 2
- प्रार्थनासमाज
- रामकृष्ण मिशन
- 3
- आर्यसमाज
- थियोसोफिकल सोसाइटी
- 4
- स्वराज्य आंदोलन का प्रभाव
- पश्चिमीकरण की प्रक्रिया
- 5
- साहित्य, संगीत और कला
- प्रचार-प्रसार
- 6
- आधुनिकता
- फोर्ट विलियम की हिन्दी
- 7
- सदासुखराय
- इंशाअल्ला खाँ
- 8
- लल्लूलाल
- सदल मिश्र
- 9
- केरे & चेम्बरलेन
- पत्र-पत्रिकाएं
- 10
- हुगली और श्रीरामपुर
- मिशनरियों का योगदान
- 11
- अंग्रेज प्रचारक
- विज्ञापन
- 12
- बाबू शिवप्रसाद सितारे
- हेनरी पिंकाट
- 13
- लक्ष्मण सिंह
- ब्रह्यधर्म
- 14
- नागरी प्रचारिणी सभा, बनारस (काशी)
- हिन्दी साहित्य सम्मेलन
- 15
- भाषा के विकास के सरकारी प्रयास
- धर्म प्रचार
- 16
- ईस्ट भारत
- मैकाले
- 17
- आकलैण्ड
- राष्ट्रभाषा व राजभाषा के रूप में हिन्दी
- 18
- अनुच्छेद
- हिन्दी भाषा -प्रयोग के विविध रूप
- 19
- हिन्दी की सवैंधानिक स्थिति
- राजभाषा आयोग
- 20
- संचार माध्यम और हिन्दी
- पुस्तक प्रकाशन
- 21
- कृष्ण काव्य - परिचय
- आदिकालीन कृष्ण काव्य
- 22
- भक्तिकालीन कृष्ण काव्य
- रीतिकालीन कृष्ण काव्य
- 23
- आधुनिक कालीन कृष्ण काव्य
- कृष्ण भक्ति शाखा के भाग
- 24
- राग एवं रागानुमा, मधुर एवं प्रीति-भाव:
- कृष्ण काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियाँ (विशेषताएँ)
- 25
- उपलब्धियाँ और महत्व
- परिचय
- 26
- हिन्दी सूफ़ी काव्य के वैचारिक आधार
- हिन्दी में प्रमुख सूफ़ी कवि और उनके काव्य
- 27
- सूफी प्रेमाख्यानकों का स्वरूप
- प्रेमाख्यानक काव्य
- 28
- सूफी साहित्य का लक्ष्य
- रहस्यवाद
- 29
- परिचय
- रामभक्ति शाखा के कवि और काव्य
- 30
- तुलसीदास
- रामभक्ति शाखा के अन्य कवि
- 31
- रामभक्ति की कुछ विशेषताएँ
- प्रमुख कृष्ण भक्त कवि और उनके काव्य - सूरदास
- 32
- सूरादास की विशेषताएँ
- अष्ट छाप के अन्य कवि - कुम्भनदास
- 33
- अष्ट छाप के अन्य कवि - परमानंदास
- अष्ट छाप के अन्य कवि - कृष्णदास
- 34
- अष्ट छाप के अन्य कवि - नन्ददास
- अष्ट छाप के अन्य कवि - गोविन्दस्वामी
- 35
- अष्ट छाप के अन्य कवि - छीतस्वामी
- अष्ट छाप के अन्य कवि - चतुर्भुजदास
- 36
- हित हरिवंश राधावल्लभ संप्रदाय (हित संप्रदाय)
- चैतन्य अथवा गौड़िया संप्रदाय
- 37
- निम्बार्क संप्रदाय
- भक्तिकालीन फुटकर कवि
- 38
- अन्य फुटकर कवि - मीराबाई
- अन्य फुटकर कवि - केशवदास (1612 - 74)
- 39
- अन्य फुटकर कवि - रहीम
- अन्य फुटकर कवि - नरोत्तमदास
- 40
- अन्य फुटकर कवि - गंग
- अन्य फुटकर कवि - सेनापति
- 41
- हिन्दी संत काव्य
- कबीर पंथ
- 42
- उपनिषद शंकराचार्य का अद्धैतवाद
- निर्गुण भक्ति
- 43
- संत काव्य की प्रमुख विशेषताएँ
- भारतीय धर्म साधना में संत कवियों का स्थान
- 44
- संत परंपरा में कवियों ने महत्वपूर्ण योगदान - धर्मदास
- संत परंपरा में कवियों ने महत्वपूर्ण योगदान - गुरु नानक देव
- 45
- संत परंपरा में कवियों ने महत्वपूर्ण योगदान - संत रविदास या रैदास
- संत परंपरा में कवियों ने महत्वपूर्ण योगदान - दादू दयाल
- 46
- संत परंपरा में कवियों ने महत्वपूर्ण योगदान – मलूकदास
- भारतेन्दु युग का योगदान
- 47
- भारतेन्दु युग की विशेषताएँ
- भारतेन्दु जी की उपलब्धियाँ
- 48
- 19वीं सदी की पत्रिकाओं के नाम व भाषा
- भारतेन्दु की पत्रिका का विकास
- 49
- हिन्दी गद्य का उद्भव और विकास
- आधुनिक काल की परिस्थितियाँ
- 50
- आधुनिक काल में भारतेन्दु युग
- आधुनिक काल में राज्य क्रांति और सांस्कृति पुनर्जागरण
- 51
- आधुनिक काल का प्राचीन युग
- आधुनिक काल के प्राचीन युग में खड़ी बोली
- 52
- आधुनिक काल में हिन्दी गद्य का विकास
- रीतिकालीन साहित्य का आकलन
- 53
- छायावाद की विशेषताएँ
- छायावाद के कवि - जयशंकर प्रसाद
- 54
- छायावाद के कवि - सुमित्रानंदन पंत
- छायावाद के कवि - महादेवी वर्मा
- 55
- छायावाद के कवि - सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
- छायावाद के कवि - डॉ. रामकुमार वर्मा
- 56
- छायावाद के कवि - भगवती चरण शर्मा
- छायावाद की प्रवृत्तियाँ
- 57
- दव्वेदी युग
- दव्वेदी जी का योगदान, भाषा व उपलब्धियाँ
- 58
- दव्वेदी युग के कवि
- दव्वेदी युग के राष्ट्रीय काव्यधारा के कवि
- 59
- दव्वेदी युग के राष्ट्रीयधारा के अन्य कवि
- दव्वेदी युग की पत्रिकाएँ
- 60
- स्वच्छंदतावाद और उसके प्रमुख कवि
- स्वच्छंदतावाद के अन्य प्रमुख कवि
- 61
- रीतिकाल का रचनाकाल और नामकरण
- रीतिकाल का संप्रदाय, काव्य, श्रृंगारकाल और अवधि
- 62
- केवल रीतिकालीन (काव्य) साहित्य का विभाजन व विभिन्न परिस्थितियाँ
- रीतिकाल की विशेषताएँ
- 63
- कवियों के अनुसार रीतिकाल की उत्पत्ति, प्ररेणास्त्रोत, परिवेश व नीतिगत परंपरा
- रीतिकाल में आरोप, काव्यशास्त्र व उनकी कोटियाँ
- 64
- छायावाद में समकालीन कविता
- समकालीन कविता में परिवर्तन, आलोचक, दीक्षित कवि
- 65
- समकालीन कविता में विचार, भारतीय जीवन, भूकविता एवं घोषणा पत्र
- समकालीन में पत्रकारिताएँ
- 66
- प्रगतिशील काव्य का वर्णन, प्रगतिवाद के विचार और मूल्यांकन
- प्रयोगवाद युग का आरंभ
- 67
- प्रयोगवाद युग के कवि
- प्रयोगवाद युग की प्रमुख प्रवृत्तियाँ
- 68
- प्रयोगवाद में पपद्यवाद
- प्रयोगवाद का आरंभ व पत्रिका
- 69
- नई कविता का आरंभ, विचार, कवि व नामकरण
- नई कविता की प्रवृत्तियाँ
- 70
- संपूर्ण रीति साहित्य का विभाजन
- रीतिकाल के प्रवर्तक आचार्य केशवदास
- 71
- रीतिकाल के प्रथम कोटि (रीतिबद्ध) के आचार्य जसवंतसिह
- रीतिकाल के प्रथम कोटि (रीतिबद्ध) के आचार्य भूषण
- 72
- रीतिकाल के प्रथम कोटि (रीतिबद्ध) के आचार्य मिश्र व त्रिवेदी
- रीतिकाल के प्रथम कोटि (रीतिबद्ध) के आचार्य देव
- 73
- रीतिबद्ध के आचार्य पद्माकर भट्ट
- रीतिकाल के प्रथम कोटि (रीतिबद्ध) के आचार्य प्रतापसिंह
- 74
- तृतीय कोटि के (रीतिमुक्त) कवि घनानंद
- तृतीय कोटि के (रीतिमुक्त) कवि आलम, बोधा, ठाकुर व दव्जदेव
- 75
- तृतीय कोटि के (रीतिमुक्त) कवि लाल
- तृतीय कोटि के (रीतिमुक्त) के वर्ग
- 76
- नीतिकार एवं सूक्तिकार के कवि सूदन, गोविन्द सिंह
- नीतिकार एवं सूक्तिकार के कवि जोधराज, बैताल, राय एवं घाघ
- 77
- रीतिकाल के अन्य कवि में वृंद, गिरि
- दव्तीय कोटि के कवि (रीतिसिद्ध) - कुलपति मिश्र कवि
- 78
- दव्तीय कोटि के कवि (रीतिसिद्ध) कुमारमणि, देव
- दव्तीय कोटि के कवि (रीतिसिद्ध) सोमनाथ
- 79
- दव्तीय कोटि के कवि (रीतिसिद्ध) भिखारीदास
- दव्तीय कोटि के कवि (रीतिसिद्ध) रसिकगोविन्द
- 80
- दव्तीय कोटि के कवि (रीतिसिद्ध) प्रतापसाहि
- दव्तीय कोटि के कवि (रीतिसिद्ध) अमीरदास
- 81
- दव्तीय कोटि के कवि (रीतिसिद्ध) ग्वाल
- दव्तीय कोटि (रीतिसिद्ध) कवि का आचार्यत्व - तोष कवि
- 82
- दव्तीय कोटि (रीतिसिद्ध) कवि रसलीन
- दव्तीय कोटि (रीतिसिद्ध) कवि पद्माकर
- 83
- दव्तीय कोटि (रीतिसिद्ध) कवि बेनी प्रवीन
- दव्तीय कोटि (रीतिसिद्ध) कवि उजियारें
- 84
- रीतिकाव्य में लोकजीवन
- रीतिकाल के दव्तीय कोटि के (रीतिसिद्ध) कवि
- 85
- रीतिसिद्ध कवि बिहारी
- रीतिसिद्ध कवि बिहारी के अनुसार धारा
- 86
- रीतिकाल के दव्तीय कोटि के (रीतिसिद्ध) कवि सोलंकी, नेवाज, हितहरिवंश
- रीतिकाल के दव्तीय कोटि के (रीतिसिद्ध) कवि रामसहायदास, पेजनस, मानसिंह
- 87
- रीतिकाल के दव्तीय कोटि के (रीतिसिद्ध) कवि चिंतामणि त्रिपाठी
- आलोचना का आरंभ
- 88
- शुक्ल युग के आलोचक
- शुक्लोत्तर युग के अलोचक
- 89
- आलोचना की आधुनिक पद्धतियाँ
- हिन्दी निबंधों का श्रीगणेश
- 90
- भारतेन्दु युग
- दव्वेदी युग
- 91
- शुक्ल युग
- शुक्लोत्तर युग
- 92
- अन्य में छायावादोत्तर हिन्दी निबंध
- विषय की दृष्टि से निबंधकारों की नामावली
- 93
- अन्य प्रसिद्ध निबंधकार और उनके निबंध
- रेखाचित्र साहित्य
- 94
- रेखाचित्र विधा का विकास
- संस्मरण साहित्य
- 95
- यात्रावृत्त
- आत्मकथा साहित्य
- 96
- जीवनी साहित्य
- रिपोर्ताज
- 97
- 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध की हिन्दी पत्रकारिता
- नाटक
- 98
- भारतेन्दु काल
- दव्वेदी युग में नाटक
- 99
- प्रसाद युग
- प्रसादोत्तर नाटक
- 100
- स्वान्त्र्योत्तर हिन्दी नाटक
- एकांकी नाटक
- 101
- गीति नाट्य
- हिन्दी कहानी साहित्य
- 102
- पूर्व प्रेमचंद काल वर्ष 1900 से 1927 तक
- प्रेमचंद काल 1916 से 1936 तक
- 103
- प्रेमचंद युगीन कहानी साहित्य की प्रमुख प्रवृत्तियाँ
- प्रेमचंदोत्तर काल 1936 से बाद तक
- 104
- मनोवैज्ञानिक कहानी
- आंचलिक कहानियाँ
- 105
- अकहानी
- सातवें दशक की कहानी
- 106
- हिन्दी गद्य साहित्य का विकास
- उपन्यास
- 107
- पूर्व प्रेमचंद्र युग
- दव्वेदी युग
- 108
- प्रेमचन्द युग
- प्रेमचंदोत्तर उपन्यास
- 109
- सामाजिक उपन्यास
- मनोवैज्ञानिक उपन्यास
- 110
- साम्यवादी उपन्यास
- आँचलिक उपन्यास
- 111
- प्रयोगवादी उपन्यास
- नया उपन्यास
- 112
- मलिक मुहम्मद जायसी
- पद्मावत अन्योक्ति अथवा समासोक्ति
- 113
- जायसी क्या ‘पद्मावत’ अन्योक्ति है?
- जायसी क्या ‘पद्मावत’ समासोक्ति है?
- 114
- जायसी की प्रेम-व्यंजना का स्वरूप
- कबीर की रहस्य साधना का स्वरूप
- 115
- कबीर के रहस्यवाद
- कबीर के विद्रोही स्वरूप का विश्लेषण
- 116
- कबीर और तुलसी के राम का तुलनात्मक विवेचन
- सूरदास का सामान्य परिचय
- 117
- सूरदास की भक्तिभावना
- सूरदास का वात्सल्य वर्णन
- 118
- सूरदास गीतिकाव्य
- ‘भ्रमरगीत’ में सूर के वाग्वैदग्ध्य
- 119
- भारतेन्दु
- ‘पदमावत’ व्याख्या (नागमती वियोग-खण्ड)
- 120
- ‘पदमावत’ व्याख्या (नागमती वियोग-खण्ड) - दूभर-कठिन
- ‘पदमावत’ व्याख्या (नागमती वियोग-खण्ड) - मौकहँ- मुझे
- 121
- कबीर (संपादक हजारी प्रसाद दव्वेदी) Part - 1
- कबीर (संपादक हजारी प्रसाद दव्वेदी) Part - 2
- 122
- कबीर (संपादक हजारी प्रसाद दव्वेदी) Part - 3
- कबीर (संपादक हजारी प्रसाद दव्वेदी) Part - 4
- 123
- व्याख्या सूरदास ‘भ्रमरगीत सार’ Part - 1
- व्याख्या सूरदास ‘भ्रमरगीत सार’ Part - 2
- 124
- गजानन माधव मुक्तिबोध-
- मोहन राकेश कृत हिन्दी नाटकों की चर्चा
- 125
- मोहन राकेश कृत हिन्दी नाटक ‘आधे-अधूरे’ की व्याख्या
- संतकाव्य
- 126
- रीतिकाल
- रीतिकाल की मुख्य प्रवृत्तियाँ
- 127
- रीतिमुक्त धारा
- आधुनिक काल
- 128
- आधुनिक काल
- आधुनिक धारा प्र्रगतिवादी गीतिधारा के कवि
- 129
- आधुनिक काल राष्ट्रीय सांस्कृतिक काव्यधारा
Prominent Trends of Modern Hindi Poetry (15)
- 1
- काव्य का सिद्धांत कवि व उनकी रचनाएं
- काव्यभाषा के रूप में अवधी का उदय और विकास
- 2
- सूफियों के प्रेमाख्यान काव्य
- रामभक्त कवियों की साहित्यिक अवधी
- 3
- काव्य भाषा के रूप में ब्रजभाषा का उदय और विकास
- भक्तिकाल में ब्रजभाषा
- 4
- रीतिकाल में ब्रजभाषा काव्य
- आधुनिक काल में ब्रजभाषा काव्य
- 5
- छायावादी कवियों के सौंदर्य-बोध
- शमशेर सिंह
- 6
- अस्तित्ववाद: वैचारिक पृष्ठभूमि
- अंधेरे में कविता के विषय में Part - 1
- 7
- अंधेरे में कविता के विषय में Part - 2
- अंधेरे में कविता के विषय में Part - 3
- 8
- अंधेरे में कविता के विषय में Part - 4
Prominent Poets (1)
Katha Sahitya (12)
Upanyas & Realism (6)
- 1
- हिन्दी कथा साहित्य में स्त्री-विमर्श
- लेखिकाएँ व उनके उपन्यास
- 2
- अन्य व्यंग्य निबंध के लेखक: -
- अज्ञेय का परिचय
- 3
- अज्ञेय कृत ‘असाध्य वीणा’ की व्याख्या
- अज्ञेय (नदी के दव्ीप) की व्याख्या
The Origin and Development of Hindi Novels (6)
Criticism (3)
The Origin and Development of Hindi Criticism (3)
Kabir (9)
Kabir Granthawali (9)
- 1
- तुलसी के राम का परिचय
- तुलसीदास की भक्ति भावना
- 2
- तुलसी की काव्य दृष्टि
- तुलसीदास के काव्य में सामाजिक-सांस्कृतिक दृष्टि
- 3
- कथा अंश Part - 1
- कथा अंश Part - 2
- 4
- तुलसीदास जी की चौपाईयों की व्याख्या
- कृत ′ रामचरितमानस के प्रसंगो की व्याख्या
- 5
- तुलसीदास कृत ‘रामचरितमानस’ में छंदो की व्याख्या
Prasad (8)
Kamayani (Chinta and Sharddha Sarg) (8)
- 1
- जयशंकर प्रसाद कृत ‘कामयानी’
- जयशंकर प्रसाद कृत ‘कामयानी’ के सौपान
- 2
- जयशंकर प्रसाद कृत ‘कामयानी’ की पृष्ठभूमि
- जयशंकर प्रसाद कृत ‘कामयानी’ की व्याख्या - जल-प्लावन
- 3
- जयशंकर प्रसाद कृत ‘कामयानी’ की व्याख्या - प्रलय
- जयशंकर प्रसाद कृत ‘कामयानी’ का इड़ा सर्ग
- 4
- जयशंकर प्रसाद कृत चन्द्रगुप्त नाटक
- जयशंकर प्रसाद कृत चन्द्रुगुप्त की व्याख्या
Nirala (7)
Rag-Virag (7)
- 1
- केदारनाथ अग्रवाल का प्रकृति चित्रण
- रघुवीर सहाय- राजनीतिक चेतना एवं काव्यभाषा
- 2
- निराला के काव्य में यथार्थ चेतना
- निराला की लंबी कविताओं में उनकी प्रयोगधर्मिता
- 3
- सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ कृत ‘राम की शक्तिपूजा’ की व्याख्या Part - 1
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