Optionals IAS Mains Hindi Literature: Questions 18 - 27 of 28
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Question 18
Explanation
कर्मभूमि की कथा भारत वर्ष के स्वाधीनता आंदोलन की कहानी का अंश हैं, जिसको लेखक ने कौशलपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया है। वह केवल युग की घटनाओं का ब्यौरा मात्र नहीं है अपितु रोचक बन गयी हैं। प्रस्तुत उपन्यास की कथा जहाँ राजनीति, समाज, धर्म, एवं शिक्षा के विशाल क्षेत्र का चित्र प्रस्तुत करती है वहाँ यथार्थ की भूमि पर चित्रित हुई ये घटाए उन्हें सूत्रबद्ध र…
Question 19
Explanation
कुछ भी लिखने से पूर्व हमारे भीतर कोई न कोई विचार या भाव कौंधता है जिसकी पूर्ति के लिए मन लिखने को विचलित हो उठता है, यही अतृप्ति लेखन की जननी हैं।
कोई भी लेखन निरउद्देश्य नहीं होता।
जैसे: घर के कामकाजी पत्र, घर का हिसाब, राष्ट्रीय, आर्थिक मुद्दों पर कुछ लिखना हो, या साहित्य विधा पर लिखना हो। सभी प्रकार के लिखन के पीछे उद्देश्य अवश्य होता है।
लेखन विवि…
Question 20
Appeared in Year: 2019
Describe in Detail
Essay▾‘अकाल के बाद’ कविता की मूल संवेदना को सोदाहरण विवेचित कीजिए।
Explanation
नागार्जुन आधुनिक हिन्दी साहित्य में प्रेमचंद्र की परंपरा के वाहक है और अपनी कविता ‘अकाल के बाद’ में अकाल जैसे आर्थिक समस्या का सहज एंव भावुक चित्र खीचं वह इतिहास में अपना विशिष्ट स्थान बनाते है।
नागार्जुन ने ‘अकाल के बाद’ कविता में मात्र आठ पंक्तियों का प्रयोग किया है। कविता के पूवार्ध में अकाल की दारूण स्थिति का वर्णन है और उत्तरार्ध में अकाल की सम…
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Question 21
Appeared in Year: 2019
Describe in Detail
Essay▾′ भारत दुर्दशा ′ में अपने समय की विभिषिका का चित्रण हुआ है। ′ स्पष्ट कीजिए।
Explanation
‘भारत दुर्दशा’ 1875 में लिखा गया एक लघु नाटक है। हिन्दी नाटक साहित्य के पुरोधा भारतेन्दु हरीशचन्द्र द्वारा रचित यह नाटक नवजागरण चेतना एंव राष्ट्रीयबोध से परिपूर्ण एक प्रतीकात्मक नाटक है। तत्कालीन समाज की पतनशीलता, भारत की यह दुर्दशा उसके सुनहरे अतीत के समक्ष एक कॉन्ट्रास्ट के रूप मे ंउपस्थित है। नाटककार ने नवजागरण के वाहक के रूप में भारत दुर्दशा ना…
Question 22
Appeared in Year: 2016
Describe in Detail
Essay▾नागार्जुन की लोक-दृष्टि के आधारभूत तत्व कौन- कौन से है? समीक्षा कीजिए।
Explanation
बाबा नागार्जुन हिन्दी साहित्य के जनवादी काव्यधारा के प्रतिनिधि है। उन्होंने अपने रचनाओं में राजनैतिक, सामाजिक, लोक सांस्कृतिक, विभिन्न विषय वस्तु का चयन किया है और इन सबके समानांतर उनके हर एक काव्य में उनकी जनपक्षधरता दृष्टव्य है। यही कारण है कि उन्हें जनकवि कहा जाता है।
जनता मुझसे पूछ रही है, क्या बतलाऊँ
जनकवि हूँ मेैं साफ कहूँगा, क्यों हकलाऊँ।
नागार…
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Question 23
Appeared in Year: 2016
Describe in Detail
Essay▾स्वतंत्रता संग्राम के व्यापक परिप्रेक्ष्य में मैथिलीशरण गुप्त के ‘भारत-भारती’ की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालिए।
Explanation
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने 1911 में ‘भारत-भारती’ की रचना कर भारतीय जनमानस को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित करने का ऐतिहासिक कार्य संपन्न किया। तत्कालीन राजनीतिक परिस्थिति में गाँंधी का आगमन नहीं हुआ था परन्तु कांग्रेस की स्थापना और बंग-भंग आंदोलन ने देश में ‘स्वराज्य’ की माँग को अग्नि दे दी थी।
नवजागरण कालीन चेतना को अपने काव्य क…
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Question 24
Appeared in Year: 2019
Describe in Detail
Essay▾भारत भारती की राष्ट्रीय चेतना को आज के संदर्भ मे समझाए।
Explanation
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त दव्वेदी युगीन लेखकों में राष्ट्रीय उदघोषक के रूप में मौजूद है। इन्होनें तत्कालीन राष्ट्रीय आंदोलन को अपने काव्य के आहुति से पोषित किया है। ‘भारत भारती’ , ‘रंग में भंग’ आदि रचनाएँ इसकी साक्षी है।
‘भारत भारती’ कविता तीन भाग में विभाजित है । पहले भाग में अतीत, दूसरे में वर्तमान (तत्कालीन) और अंतिम भाग में भविष्य की रूपरेखा को…
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Question 25
Appeared in Year: 2016
Describe in Detail
Essay▾‘भारत दुर्दशा’ का इच्छित आदर्श क्या है? समीक्षात्मक विश्लेषण प्रस्तुत कीजिए।
Explanation
भारत दुर्दशा ′ 1875 में लिखा गया एक लघु नाटक है। हिन्दी नाटक साहित्य के पुरोधा भारतेन्दु हरीशचन्द्र द्वारा रचित यह नाटक नवजागरण चेतना एंव राष्ट्रीयबोध से परिपूर्ण एक प्रतीकात्मक नाटक है। भारत दुर्दशा का इच्छित आदर्श नाटक के कथावस्तु में सर्वत्र व्याप्त है। तत्कालीन समाज की पतनशीलता, भारत की यह दुर्दशा उसके सुनहरे अतीत के समक्ष एक कॉन्ट्रास्ट के रूप…
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Question 26
Appeared in Year: 2018
Describe in Detail
Essay▾‘नाटयरासक’ या ‘लास्यरूपक’ की शिल्प विधि की दृष्टि से ‘भारत दुर्दशा’ का तात्विक मूल्यांकन कीजिए।
Explanation
पारंपरिक दृष्टि से रूपक के दस एंव उपरूपक के अठारह भेद है। भारतेन्दु ने नाटक की शुरूआत में भारत दुर्दशा को नाटयरासक या लास्यरूपक कहा है। किसी निश्चित विधा में भारतेन्दु नाटक को नहीं बाध्ां पाए है। इसका कारण यह है कि रचना का विधान मौलिक था और भारतेन्दू यह तय नहीं कर पा रहे थे कि भारत दुर्दशा को नाटयरासक कहा जाना चाहिए या लास्यरूपक।
- लास्यरूपक में नृत्य…
Question 27
Appeared in Year: 2017
Describe in Detail
Essay▾‘भारत दुर्दशा’ प्राय: कथाविहीन घटनाविहीन नाटय-रचना है। फिर भी इसके मंचन की संभावनाएँ कम नहीं है। अभिनयता की दृष्टि से विवेचन कीजिए।
Explanation
किसी भी नाटक की सफलता या सार्थकता इस पैमाने पर तोला जा सकता है कि उसके मंचन की संभावना कितनी है। अभिनयता की दृष्टि से चर्चा करे तो भारतेन्दु हरीशचन्द्र की रचना ‘भारत दुर्दशा’ उन आरंभिक नाटकों में है जिसने रंगमंंच से अपने संबंध को स्थापित कर हिन्दी रंगमंच की मौलिक स्थापना में अपनी ऐतिहासिक भूमिका निभाई है।
- भारत दुर्दशा को आलोचना की दृष्टि से देखें तो…
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