Optionals IAS Mains Hindi Literature: Questions 10 - 17 of 28
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Question 10
Explanation
- भाषा की दृष्टि से कबीर का काव्य विवाद का विषय रहा है।जहां एक ओर आचार्य शुक्ल उन्हें ठोक पीटकर कवि बतलाते हुए उनकी कविता को मुख्यत: साधारण कहते हैं वहीं आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी उन्हें ‘वाणी का डिक्टेटर’ मानते है।
- कबीर की भाषा को शुक्लजी ने सधुक्कड़ी भाषा कहा है।सधुक्कड़ी का अर्थ है - साधुओं - सी भाषा। कबीर घुमक्कड़ स्वभाव के थे, उन्होंने देश भ्र…
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Question 11
Appeared in Year: 2018
Describe in Detail
Essay▾‘सुंदर’ शब्द पर विचाार करते हुए सुंदरकांड के वस्तु -शिल्प -सौंदर्य की विवेचना कीजिए।
Explanation
- तुलसीदास कृत रामचरितमानस हिंदी साहित्य एवं हिंदी जाति की अमूल्य निधि है। रामचरितमानस के सुंदरकांड में हनुमान के लंका गमन से लेकर रामसेतु के निर्माण तक का वर्णन है।
- सुंदरकांड के नामकरण में ‘सुंदर’ शब्द बहुत सारे अर्थ छाया लेकर आता है। कुछ विचारकों का मानना है कि जिस पर्वत से हनुमान ने लंका के लिए उड़ान भरी उसका नाम सुंदर पर्वत था इसलिए इस कांड का नाम…
Question 12
Appeared in Year: 2017
Describe in Detail
Essay▾″ काव्य जीवन को अर्थवत्ता प्रदान करता है और काव्य की अर्थवत्ता बिम्ब से निर्मित होती है । इस कथन के आलोक में सूरदास के काव्य का मूल्यांकन कीजिए ।
Explanation
- सैद्धांतिक स्तर पर बिम्ब की अवधारणा आधुनिक काल की देन है । कथ्य को पाठक की इंद्रिय अनुभूति का विषय बना देना ही बिंब कहलाता है ।सूरदास के काव्य की बिम्ब योजना अद्वितीय हैं।
- उन्होंने लक्षित बिंबों के माध्यम से अपने वात्सल्य वर्णन को मूर्तिमान किया है -
- सोभित कर नवनीत लिए ।
- घुटरुनी चलत रेनु तन मंडित मुख दधि लेप किये।
- सूरदास की कविता का लक्ष्य लोकरंजन है ।…
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Question 13
Appeared in Year: 2016
Describe in Detail
Essay▾भक्ति आंदोलन का जनसाधारण पर जितना व्यापक प्रभाव हुआ उतना किसी अन्य आंदोलन का नहीं इस कथन की सार्थकता पर विचार करते हुए कबीर की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
Explanation
- भारत के इतिहास में भक्ति आंदोलन अखिल भारतीय रूप से एक महत्वपूर्ण आंदोलन रहा जिसने भक्ति के आलोक में सामाजिक समता स्थापित की।भक्ति काल के निर्गुण शाखा के प्रतिनिधि कवि कबीर इस नए सामाज व्यवस्था के ध्वजारोहक थे ।
- भक्ति आंदोलन ने जनसाधारण को समता का अधिकार दिया । अब ईश्वर की प्राप्ति के लिए कर्मकांड की आवश्यकता नहीं थी, न ही पंडित या मौलवी की आवश्यकता …
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Question 14
Appeared in Year: 2019
Describe in Detail
Essay▾कवितावली के भाव सौंदर्य की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
Explanation
- समन्वय की विराट चेष्टा रखने वाले लोकनायक तुलसीदास ने कवितावली में मुक्तक रूप में राम की कथा कही है। यूं तो तुलसी के प्रतिष्ठा का मुख्य आधार रामचरितमानस है परंतु कवितावली में भी उनका भाव सौंदर्य अतुल्य है।
- तुलसीदास ने कवितावली में तत्कालीन सामंती समाज का वर्णन करते हुए कलयुग के माध्यम से सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक समस्याओं को चित्रित किया हैं। पूरे…
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Question 15
Appeared in Year: 2018
Describe in Detail
Essay▾जायसी की सौंदर्य -संचेतना में उनकी ऊहा शक्ति साधक रही है या बाधक? सोदाहरण समझाइए।
Explanation
- हिंदी साहित्य के इतिहास में मलिक मोहम्मद जायसी का महत्व सूफी काव्य के प्रतिनिधि कवि के रूप में स्थापित है। जायसी की सौंदर्य संचेतना पद्मावत में कई स्तरों पर दिखती है परंतु इसका सर्वाधिक दर्शन पद्मावती के वर्णन में हुआ है।
- वह पद्मावती के रूप सौंदर्य को ‘पारस रूप’ कहते है। पद्मावती के सौंदर्य का वर्णन अनेक स्थानों पर किया गया है । जैसे हीरामन द्वारा प…
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Question 16
Appeared in Year: 2016
Describe in Detail
Essay▾भ्रमरगीत के माध्यम से सूरदास ने किस प्रकार अपने गहन भक्ति -भावना और अप्रतिम काव्य कला का परिचय दिया है? विवेचन कीजिए ।
Explanation
- हिंदी साहित्य के इतिहास में सूरदास का स्थान भक्तिकाल के कृष्ण काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि के रूप में विद्यमान है ।अपनी रचना भ्रमरगीत में सूर ने अपने गहन भक्ति भावना एवं अप्रतिम काव्य कला का एक साथ निदर्शन किया है ।
- पुष्टिमार्ग को स्वीकारने से पूर्व सूरदास दास्य भाव की भक्ति में लीन थे । वल्लभाचार्य से मिलकर उन्होंने घिघियाना छोड़कर रागानुराग या प्रेम…
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Question 17
Appeared in Year: 2018
Describe in Detail
Essay▾नीरस निर्गुण मत में कबीर ने ‘ढाई आखर’ जोड़ने की पहल किससे प्रेरित होकर की और क्यों? अपनेेेे कथन की पुष्टि कीजिए।
Explanation
- संत कबीरदास भक्तिकाल के निर्गुण काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि हैं। उन्होंने शंकर के अद्वैतवाद में ज्ञान के स्थान पर प्रेम को ईश्वर प्राप्ति के मार्ग के रूप में स्थापित किया।इसके पीछे कबीर के जीवन अनुभव एवं उनकी लोकपक्षधरता कारक रूप में मौजूद है ।
- कबीर मूलतः अद्वैतवाद से प्रेरित थे।परंतु बोधगम्यता की दृष्टि से वह कई बार ईश्वर को राम नाम से पुकारते है।कब…
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