IAS (Admin.) Mains Hindi Literature Prasad-Kamayani (Chinta and Sharddha Sarg) Study Material (Page 4 of 5)
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जयशंकर प्रसाद कृत चन्द्रगुप्त नाटक
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- परिचय- चन्द्रगुप्त मौर्य जयशंकर प्रसाद दव्ारा रचित सर्वश्रेषठ नाटक माना जाता है। नाटक के प्रारंभ में तक्षशिला में चन्द्रगुप्त और चाणक्य की भेंट होती है। नाटक का कथानक भारत पर सिकंदर के आक्रमण के समय का है। चाणक्य के निर्देश से चन््रदगुप्त सिकंदर की सेवा में रहकर यूनानी युद्ध प्रणाली और युद्ध कौशल का ज्ञान प्राप्त करता है। सिकंदर भारत में नंद साम्राज्य पर आक्रमण करने की योजना को त्यागकर अपने देश लौट गया। कहा जाता है कि मार्ग में ही उसकी मृत्यु हो गई और उसका सेनापति सैल्यूकस भारत पर आक्रमण करता है। उस समय तक चंद्रगुप्त मगध के सिंहांसन पर विराजमान हो चुका है। युद्ध में भारतीय सैनिक सेनानायक और शासक चंद्रगुप्त के नेतृत्व में सेल्सूकस की यूनानी सेना को पराजित कर देते हैं। अंत मे…
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जयशंकर प्रसाद कृत चन्द्रुगुप्त की व्याख्या
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चन्द्रगुप्त नाटक की व्याख्या
″ राजकुमार, ब्राह्याण ने किसी के राज्य में रहता है और नकिसी के अन्न से पतला है, स्वराज्य
में विचरता है और अमृत होकर जीता है। यह तुम्हारा मिथ्या गर्व है। ब्राह्यण सब कुछ सामर्थ्य
रखने पर भी, स्वेच्छा से इन माया-स्तूपों को ठुकरा देता है, प्रकृति के कल्याण के लिए
अपने ज्ञान का दान देता है। ″
- व्याख्या- प्रस्तुत नाटक जयशंकर प्रसाद दव्ारा रचित प्रमुख ऐतिहासिक नाटक ‘चन्द्रगुप्त’ से लिया गया है। प्रसाद ने इस नाटक में भारतीय इतिहास के स्वर्ण काल, ‘गुप्त काल’ को चित्…
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