IAS (Admin.) Mains Hindi Literature Katha Sahitya-The Origin and Development of Hindi Novels Study Material (Page 3 of 3)
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समकालीन कहानी
कल्पना और यथार्थ
कल्पना के अनेक अर्थो में एक अर्थ रूप देना भी होता है। कल्पना ही साहित्य को रूपायित करती हैं। वह भाषा के माध्यम से यथार्थ का चित्रांकन करती है। महत्तर कल्पनात्मक कृतियों में उसके विकास के तीन परस्पर संबंद्ध स्तर हैं-
- यथार्थ के किसी नये आयाम का उद्घाटन।
- विभिन स्थितियों तथा पात्रों का निर्माण।
- बिम्ब निर्माण तथा मूर्ति विधान।
कल्पना यथार्थ को संवारती है और उसमें नये रंग भरकर उसे आदर्शोनमुखी बनाती है अत: सत् साहित्य के निर्माण में उसकी भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता। कल्पना यथार्थ को सुगम्य तथा सुरम्य, सुन्दर रू…
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हिन्दी कहानी में जयशंकर प्रसाद
प्रसाद जी ने आकांक्षा और तृप्ति के व्यवहारिक स्वरूप को स्वीकार कर उसके समन्वय की योजना की हैं-
हम भूख प्यास से जाग उठे ,
आकांक्षा तृप्ति समन्वय में
रति काम बने उसे रचना में
जो जा रही…
… (392 more words) …
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