IAS (Admin.) Mains Hindi Literature History of Hindi Literature-Tradition of Writing History of Hindi Literature Study Material (Page 10 of 49)

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खंडकाव्य

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प्रबंध काव्य का दूसरा रूप खंड काव्य होता है। खंड काव्य एक देशानुसारी होता है। खंड काव्य में भी महाकाव्य की तरह छंद -विधान होता है किन्तु यह आवश्यक नहीं कि महाकाव्य के अनुसार उसमें छंद परिवर्तन किया जाए। प्रकृति-वर्णन आदि का चित्रण आवश्यकतानुसार किया जा सकता है। इस विषय में किसी प्रकार की अनिवार्यता नहीं होती खंडकाव्य के कथानक तारतम्यता तथा पूर्वापर-प्रसंग का क्रम बना रहता है। उसका क्षेत्र महाकाव्य की तरह विस्तुत नहीं होता और न महाकाव्य की भांति उसमें जीवन के विविध रूपों का कोई स्थान दिया जाता है। ‘साहित्य दर्पण’ में आचार्य विश्नाथ ने खंडकाव्य के संदर्भ में कहा है

खंडकाव्य भवेत्काव्यस्यैक देशानुसारि च।

अर्थात खंडकाव्य के एक देश या अंश का (एक प्रधान …

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गीति काव्य के अंतर्गत मुक्तक काव्य

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प्राचीन आचार्यो ने काव्य को दो वर्गों में विभक्त किया था-प्रबंध काव्य व मुक्तक काव्य

मुक्तक काव्य-

  • मुक्तक नाम प्राचीन काव्यशास्त्रियों दव्ारा दिया गया है। आधुनिक युग में इस नाम का प्रयोग नहीं किया जाता। प्राचीन समय में कथानक से मुक्त किसी भाव-विशेष को आधार मानकर की गई पद्य रचना को मुक्तक कहते थे। आचार्य विश्नाथ का मत है कि यदि भाव एक पद्य में निरूपित हो जाता है तो उसे मुक्तक कहा जाता है। मुक्तक रचना में प्रत्येक पद एक दूसरे से स्वतंत्र होते हैं। अर्थात मुक्तक छंदों में पारस्परिक संबंध नहीं होता। प्रत्येक छंद अपने आप में पूर्ण होते है। मुक्तक काव्य में कथा-प्रसंग की …

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