IAS (Admin.) Mains Hindi Literature History of Hindi Literature-The Relevance and Importance of Hindi Literature Study Material (Page 21 of 37)

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जैन साहित्य

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  • जिस प्रकार हिन्दी के पूर्वी क्षेत्र में सिद्धों ने बौद्ध धर्म के वज्रयान मत का प्रचार हिन्दी-कविता के माध्यम से किया, उसी प्रकार पश्चिमी क्षेत्र में जैन साधुओं ने भी अपने मत का प्रचार हिन्दी-कविता के माध्यम से किया इन कवियों की रचनाएं आचार, रास, फागु, चरित आदि विभिन्न शैलियों में मिलती हैं। आचार-शैली के जैन-कवियों में घटनाओं के स्थान पर उपदेशात्मकता को प्रधानता दी गयी है। फागु और चरित-काव्य शैली की सामान्यता के लिए प्रसिद्ध है। ‘रस’ शब्द संस्कृत-साहित्य में क्रीड़ा और नृत्य से संबंधित था। भरत मुनि ने इसे ‘क्रीडनीयक’ कहा है।
  • वात्स्यायन के ‘कामसूत्र’ के रचनाक…

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सिद्ध साहित्य

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  • भगवान बुद्ध के जन्म काल (लगभग 500 ई. पू.) के आसपास संस्कृत पूर्ण विकास की अवस्था में थी। इस समय उत्तर-पश्चिम में गांधार प्रदेश से लेकर पूर्व में मगध पर्यन्त (बिहार राज्य) संस्कृत प्रतिष्ठित हो चुकी थी। किन्तु यह शिक्षित और शिष्ट वर्ग तक ही सीमित रही। संयुक्त वर्णो की बहुलता के कारण उच्चारण की असुविधा होने से सामान्य जन बोलते समय अनेक ध्वनियों का लोप कर देते थे। इस प्रकार सरलीकरण की यह प्रक्रिया पहले-पहल मगध प्रदेश में परिलक्षित हुई।
  • महात्मा बुद्ध ने इसी भाषा-पालि के माध्यम से अपना संदेश जनता तक पहुंचाया है। कदाचित इसी कारण …

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