IAS (Admin.) Mains Hindi Literature History of Hindi Literature-The Relevance and Importance of Hindi Literature Study Material (Page 16 of 37)

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रासो का कथानक

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उपरोक्त वर्णित रूपान्तरों तथा अन्य प्राप्त प्रतियों का अन्वेषण करने से प्रतीत होता है कि पृथ्वीराज रासो में कथा सूत्रों की भरमार है। इसमें चौहान वंश की उत्पत्ति और पृथ्वीराज के जीवन की विस्तृत झांकी है। समस्त कथानक को चार भागों वर्गीकृत किया जा सकता है।

  1. पृथ्वीराज के शौर्य की कथा- इसमें शहाबुद्दीन गौरी के साथ अनेक युद्धों, उसका शौर्य उदारता, आदर्श, क्षमा का चित्रण है। अन्य अनेक राजाओं को परास्त करना, हुसैन को शरण देना आदि कथाएं हैं।
  2. पृथ्वीराज के विवाह- इच्छावती, पद्यावती, शशिव्रता, इन्द्रावती, हंसवती, संयोगिता आदि से विवाह है।
  3. पृथ्वीराज के आखेट-
  4. पृथ्वीराज के विलास- होली और दीपमालिका उत्सवों का आयोजन आदि।
  • रासो की काव्य -सौंदर्यगत विशिष्टता- पृथ्वीराज रा…

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रासो संबंधी विवाद: प्रमाणिकता और अप्रमाणिकता

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पृथ्वीराज रासो की प्रमाणिकता और अप्रमाणिकता को लेकर हिन्दी समालोचक दो दलों में विभक्त हैं। कुछ विदव्ानों ने इसे प्रमाणिक माना है और कुछ ने अप्रमाणिक। इसी ग्रंथ के अंत साक्ष्य के आधार पर, इसमें दी हुई तिथियों, घटनाओं तथा नामों के आधार पर कई विदव्ानों ने इसकी प्रमाणिकता पर संदेह व्यक्त किया है। सामान्यत: इसकी प्रमाणिकता और अप्रमाणिकता को लेकर विदव्ान चार खेमों में विभक्त हैं-

  • कविराज श्यामलाल, गौरीशंकर हीराचन्द ओझा, डॉ. वूलर, मुंशी देवीप्रसाद, अमृतलाल शील, रामचन्द्र शुक्ल, डॉ. रामकुमार वर्मा आदि विदव्ान चन्द के अस्तित्व तथा उसे पृथ्वीराज चौहान के समकालीन होने को नहीं मानते।
  • डॉ. श्यामसुन्दर दास, मथुराप्रसाद दीक्षित, मोहनलाल, विष्णुलाल, पंडया, मिश्रबंधु मोतीलाल मेनारिया आदि विदव्ानों ने रासों के वर्तमान रूप को प्रमाणित व …

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