IAS (Admin.) Mains Hindi: Questions 1 of 268
Explanation
प्रस्तावना
अच्छे स्वास्थ्य के बिना दुनिया के सुख-चैन, धन-दौलत किसी काम के नहीं होते। यदि व्यक्ति किसी लौकिक आनन्द का भोग करना चाहता है तो इसकी प्रथम शर्त यह है कि वह बिल्कुल स्वस्थ हो। इसलिए कहा गया है - ‘हेल्थ इज वेल्थ’ अर्थात् ‘स्वास्थ्य ही सम्पत्ति’ है। अत: यदि कोई देश वास्तविक रूप से अपनी तीव्र प्रगति चाहता है तो इसके लिए यह आवश्यक है कि वह अपने नागरिकों के स्वास्थ्य का ध्यान रखे। यदि किसी देश के नागरिक स्वस्थ न हो तो वहाँ सही मायनों में कभी खुशहाली नहीं आ सकती, क्योंकि यदि लोग स्वस्थ ही नहीं रहेंगे तो देश की प्रगति में उनका योगदान क्या होगा? देश की प्रगति के लिए नागरिकों की इसी स्वास्थ्य आवश्यकता को ध्यान में रखकर भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की शुरूआत की है।
मयौदा अभियान
सर्वप्रथम स्वास्थ्य में खुले में शौच जाने की समस्या आती है। इस तरह खुले में जाने से कई बीमारियाँ हमारे शरीर को लग जाती है, जो जानलेवा भी हो सकती है। इस समस्या से निपटने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 1986 में केन्द्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम शुरू किया था। इस कार्यक्रम के तहत शौचालय तो बनवाए गए लेकिन खुले में शौच जाने वाले लोगों की तादाद में कोई खास कमी नहीं आई। निर्मल भारत अभियान के दिशा-निर्देशों में भी लिखा गया कि सरकारी नीतियों लोगों को शौचालय की जरूरत समझाने पर जोर दें। ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय लोगों की जरूरत नहीं, बल्कि दिक्कत के समय काम आने वाला विकल्प है। यही कारण है कि सरकार के बनाए गए ज्यादातर शौचालय उपयोग में नहीं आ रहे और उनका रोजाना इस्तेमाल नहीं हो रहा। आज भी ग्रामीण इलाकों की 50 फीसदी आबादी खुले में शौच के लिए जाती है। समस्या को मूल से मिटाने के लिए जड़ से बदलाव लाना होगा। ग्रामीण व शहरी इलाकों में स्वच्छता की मुहिम के साथ शौचालय निर्माण के अभियान पर देश के प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भी इस अभियान को चलाने में अधिक महत्व दिया है, जिससे हर जगह शौचालय का उपयोग हो सके व इसकी सफाई व्यवस्था पर पूरा ध्यान दिया जाए। इसके अलावा उदयपुर के हिन्दुस्तान जिंक ही इस अभियान में अपना पूरा योगदान दे रहा है।
पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों को परेशानियाँ
आंगनवाड़ी केन्द्रों पर शौचालय की उचित व्यवस्था नहीं होने से बच्चों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है। घरों व आंगनवाड़ी में शौचालय नहीं होने से छोटे बच्चों में खुले में शौच जाने का आदत विकास होना। खुले में शौच व हाथ नहीं धोने की आदत के कारण होने वाली डायरिया जैसी बीमारियों से बाल मृत्यु दर में वृद्धि होना। गन्दगी भरे इलाकों में रहने से बच्चों में पोषण की कमी होना व शारीरिक विकास में निरन्तर कमी होना।
पाँच साल से बढ़ी बच्चियों को खुले में शर्म के कारण उनका विद्यालय जाना बन्द हो जाना, सबसे बड़ा कारण यही होता है।
आंगनवाड़ी केन्द्रों को मजबूत बनाना होगा
0 से 5 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों के स्वास्थ्य स्तर में सुधार, मनोवैज्ञानिक, शारीरिक व सामाजिक विकास, पोषाहार तथा स्वास्थ्य और पोषण संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए माताओं को प्रशिक्षित करने जैसे कार्य आंगनवाड़ी केन्द्रों पर किए जाते है। कहा जा सकता है कि आंगनवाड़ी केन्द्र 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, उनकी माताओं और गर्भवती महिलाओं को बेहतर जीवन की मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिए कार्यरत है। यदि जड़ को मजबूत बनाया जाए तो परिणाम खुद-ब-खुद बेहतर मिलेगा व आंगनवाड़ी केन्द्रों में शौचालय की व्यवस्था ला सकती है, जड़ में बदलाव।
आंगनवाड़ी केन्द्रों की बदलाव जरूरी
हर आंगनवाड़ी में हो स्वच्छ शौचालय की व्यवस्था। बच्चों का आहार बनाते समय सफाई और स्वच्छता का पूरा ध्यान रखा जाए। आशा सहयोगिनी बच्चों को खुले में शौच नहीं जाने के लिए प्रेरित करें। स्वच्छता से संबंधित आदते सिखाएं व उनके माता-पिता को भी समझाएं। गर्भवती महिलाओं को स्वच्छता व शौचालय के उपयोग के लिए जागरूक करें।
बदलेंगे हम, बदलेगा राजस्थान
राजस्थान सरकार की पहल से व हिन्दुस्तान जिंक के सहयोग से निर्मल भारत के अन्तर्गत गाँवों में 30,000 शौचालयों के निर्माण का कार्य प्राम्भ करना। अब तक 9000 शौचालयों का निर्माण पूर्ण करना। 30,000 शौचालयों के निर्माण के बाद 80 गाँव खुले में शौच से मुक्त हो जायेंगे। हिन्दुस्तान जिंक दव्ारा गोद लिए गए 150 सरकारी स्कूलों में बन रहे है बालिकाओं के स्कूलों में शौचालयों का विशेष प्रावधान रखा गया है। हिन्दुस्तान जिंक के 18 खुशी बाल केन्द्रों पर भी शौचालयों की व्यवस्था करना।
खुले में शौच की प्रथा हो खत्म - आंगनवाड़ी केन्द्रों में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को यदि जीवन की शुरूआत में अच्छी आदतें, स्वच्छता और शौचालय के इस्तेमाल का महत्व सिखाया जाए तो आने वाले समय में खुले में शौच की प्रथा पूरी तरह से खत्म हो सकती है।
मर्यादा अभियान का मकसद
हिन्दुस्तान जिंक की ‘मर्यादा’ मुहिम से जुड़ेगी आम जनता, महिलाएँ व पंचायते। महिलाओं की मर्यादा के लिए घरों में शौचालय निर्माण के बारे में जागरूकता पेदा करना। राजस्थान या भारत में घरेलु शौचालयों का निर्माण करने के साथ ही शौचालयों के इस्तेमाल के लिए लोगों को जागरूक करना। विज्ञापन एवं लेखों के जरिये खुले में शौच की समस्या, निवारण तथा स्वच्छता के बारे में जानकारी दी जायेगी।
स्वास्थ्य मिशन का प्रारम्भ
देश के सुदूरतम इलाकों में निर्धन परिवारों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन 12 अप्रेल, 2005 को प्रारम्भ किया गया था। इसी मिशन को ध्यान में रखते हुए 2014 में प्रधान मंत्री जी ने स्वास्थ्य अभियान पर विशेष ध्यान दिया है, जो सभी जगह शौचालय से संबंधित है। ग्रामीण मिशन के अन्तर्गत ′ आशा के रूप प्रशिक्षित महिलाएँ सामुदायिक स्वास्थ्य सेविका के तौर पर कार्य कर सार्वजनिक प्रतिरक्षण, सुरक्षित प्रसव, नवजात शिशुओं की देखभाल, जलजनित और संचारी रोगों के निवारण, पोषण, सुधार एवं घरेलु शौचालयों को बढ़ावा देने जैसे कार्यों के दव्ारा सामुदायिक स्वास्थ्य सुधार में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
प्रमुख कार्य
लोगों, विशेषकर निर्धन एवं कमजोर वर्गों के लोगों को सुलभ, जवाबदेह, प्रभावी एवं विश्वसनीय प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध करवाने के साथ ही मलेरिया, अन्धता, आयोडिन की कमी, फाइलेरिया, कालाजार, क्षय रोग एवं कुष्ठ जैसे रोगों के लिए अतिरिक्त सुविधाएँ उपलब्ध करवाना इस मिशन के प्रमुख कार्यों में सम्मिलित है। इसके अतिरिक्त इस मिशन के अन्तर्गत आयुष, महिला और बाल विकास सफाई, पोषाहार, शुद्ध पेयजल, प्राथमिक शिक्षा, पंचायती राज और ग्रामीण विकास जैसे स्वास्थ्य आधारित विषयों पर भी ध्यान दिया जाता है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली संसाधन केन्द्र की स्थापना
स्वास्थ्य सुधार में क्षमता निर्माण के सामूहिक प्रयास के साथ संस्थागत सुधारों के लिए विकेन्द्रीकरण की आवश्यकता को देखते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली संसाधन केन्द्र की स्थापना की गई है।
उपसंहार
देश की वास्तविक प्रगति के लिए यह आवश्यक है कि उसका प्रत्येक नागरिक स्वस्थ हो। हमारे देश में महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना चाहिए। खास तोर पर शौचालयों पर क्योंकि महिलाओं व बालिकाओं के लिए शौचालयों की अति आवश्यकता है। यह हर क्षेत्र, गाँव, शहरों, नगरों आदि अर्थात पूरे देश में होने चाहिए व इनकी सफाई की व्यवस्था का भी पूरा ध्यान रखना चाहिए ताकि इससे कोई बीमारी न फैले। वर्ष 2005 में ग्रामीण मिशन से न सिर्फ शिशु मृत्यु दर एवं मातृ मृत्यु दर में कमी आई है, बल्कि राज्यों के साथ भागीदारी से स्वास्थ्य क्षेत्र में अन्य और भी कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल हुई है। जिस तरह से यह मिशन अभी तक अपने उद्देश्यों की पूर्ति में सफल रहा है। उससे सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि आने वाले वर्षों में नागरिकों के स्वास्थ्य सुधार दव्ारा देश की प्रगति में यह अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।