Reading Comprehension [CTET (Central Teacher Eligibility Test) Paper-II Hindi]: Questions 257 - 266 of 1026

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Passage

लोग जिन प्रकारों की भंगिमाओं अथवा हाव-भाव का प्रयोग करते हैं, उनका सम्बन्ध अन्य मनोवैज्ञानिक कारकों से जोड़ा जा सकता है। सामान्यत: व्यक्तित्व का गहन प्रभाव प्रयुक्त भंगिमाओं की संख्या और उनकी किस्मों पर पड़ता है। साथ ही, हम इन भंगिमाओं का व्यक्ति के व्यक्तित्व के प्रकार का आकलन करने में भी इस्तेमला करते हैं।

एक शोध कार्य के अनुसार ऐसी अधिकांश महिलाएँ, जो अपने घुटनों और पाँवों को जोड़कर अपनी टाँगों को आगे फैलाकर बैठती है, उनका व्यक्तित्व सफाई-पसन्द, कार्य में व्यवस्था प्रिय, योजनाएँ बनाने में रूचि रखनेवाला, बदलाव और अनिश्चितता में अरूचि रखने वाला तथा अपने जीवन को कड़ी समय-सारणी के अनुसार व्यवस्थित करने की तरजीह से जुड़ा हुआ होता है। इस तरह के एक अन्य शोध कार्य से यह पता चलता है कि सत्तावादी व्यक्तियों में असत्तावादी व्यक्तियों की तुलना में शारीरिक हावभाव का कम इस्तेमाल करने की प्रवृत्ति होती है। पितृ-विहीन बेटियाँ पिताओं वाली बेटियों की अपेक्षा अधिक संवेदनशील मुद्राओं का प्रयोग करती पाई गई है। तलाकशुदा दम्पत्तियों की बेटियाँ शरीर का आगे की ओर अपेक्षाकृत अधिक झुकाव प्रदर्शित करती है। वे अपनी बाँहों और टाँगों की अपेक्षाकृत अधिक खोल कर रखती है और लड़कियों की तुलना में जिन्होंने अपने पिताओं को पाँच वर्ष की आयु से पहले ही खो दिया है, तीन गुना से भी ज्यादा अंगचालन या हावभाव प्रदर्शित करती हैं।

एक शोधकर्त्ता ने पता लगाया है कि जब व्यक्ति शारीरिक रूप से अपंग किसी वक्ता को सुन रहे होते है तो वे सामान्यतया बहुत कम हावभाव प्रकट करते है। सम्भवत: यह इस मनोभावना के कारण होता है कि एक अपंग के प्रति व्यक्ति अपनी प्रतिक्रिया कैसे व्यक्त करें।

जहाँ तक भंगिमाओं में स्त्री-पुरूष अन्तरों का सम्बन्ध है, यह पाया गया है कि स्त्रियों के मुकाबले पुरूष अपनी बैठने की मुद्रा अधिक बदलते हैं। यदि दो साक्षात्कार लिए जाए तो दूसरे साक्षात्कार में पुरूष छोटी मुद्राएँ प्रदर्शित करते तथा अपने पाँवों को कम बदलते है। स्त्रियों के बारे में यह एकदम उल्टा है। हो सकता है कि दूसरे साक्षात्कार में पुरूष अधिक सहज अनुभव करते हों जबकि स्त्रियाँ दूसरे साक्षात्कार को पहले साक्षात्कार के मुकाबले में अधिक तनावपूर्ण पाती है।

Question 257 (1 of 4 Based on Passage)

Appeared in Year: 2008

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भंगिमाएँ हमारे व्यक्तित्व से किस प्रकार से सम्बन्धित है?

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Question 258 (2 of 4 Based on Passage)

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घुटनों और पैरों को जोड़कर बैठी स्त्रियों की भंगिमाओं से क्या अर्थ निकाला जा सकता है?

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Question 259 (3 of 4 Based on Passage)

Appeared in Year: 2008

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पितृविहीन और तलाकशुदा दम्पत्तियों की बेटियाँ किस प्रकार का व्यवहार करती हैं?

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Question 260 (4 of 4 Based on Passage)

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शारीरिक रूप से अपंग वक्ता को सुनतक हुए लोगों के बारे में लेखक का क्या कहना है?

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Passage

पत्रकारों के बीच विचारों की असहमति प्रशासकों की सुविधा का एक स्रोत है, जिसका अभ्प्रािय प्रेस की उस शक्ति का क्षरण होना है जो अनेकोनेक विचारों दव्ारा प्रेस दव्ारा अभिव्यक्ति किए जाते है। वह कोई जोरदार आवाज नहीं है, ना ही सुनने वालों के समूह का कोई आकार है जो कि स्वीकार्य है और जो समाचार पत्र के प्रभाव का सही मापदण्ड है। प्रेस की शक्ति तो पकड़ में न आने वाली चीज है, जो न तो उनसे सम्बद्ध होती है जो समाचार पत्र की बिक्री को खूब पैसे कमाते है और ना ही उनसे वो सर्वाधिक प्रचार संख्या में सफल हो जाते है।

जो पत्र आम जनता की कमजोरियों और उसकी संवेदना, पीड़ा के बारे में विचार करते है, जनता उनकी प्रसार संख्या बढ़ाती है। यह सिनेमा की टिकक-खिड़की की अपील के समानान्तर है। फिल्मों की आकर्षक् शक्ति की सबलता उन अधिकांश चरित्रों से जुड़ी होती है जिन्हें वो प्रदर्शित करती है। फिल्मों की व्यावसायिक सफलता उनकी गुणवत्ता से नितान्त भिन्न चीज है जो कलाकार की पूर्णता/समर्पण से आती है। कला के सर्वोत्तम रूप से मूल्यांकन का साधन भीड़ से सम्बद्ध नहीं होता है। वह तो एक अर्जन है जिसके ‘चुनाव’ का स्वामित्व सीमित है, जो संख्या बल में सीमित है। वहाँ कुछ चुने हुए सूक्ष्म प्रतिभाशाली, बोध शक्ति सम्पन्न और अनेक अज्ञानी/अपढ़ के बीच एक संघर्ष है। बाद वालों में शिक्षाप्रद सुधार का लक्ष्य समाचार पत्र की तरह फिल्मों का है। दोनों समाचार पत्रों और फिल्मों के अन्तर्गत एक ही तरीके से प्रयास करना है। प्रलोभनों से ऊपर उठता समान है।

Question 261 (1 of 3 Based on Passage)

Appeared in Year: 2013

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लेखक किन दो चीजों की तुलना कर रहा है?

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Question 262 (2 of 3 Based on Passage)

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जो समाचार पत्र जनता के बारे में सोचते है, जनता उनके हेतु कैसी प्रतिक्रिया करती है?

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Question 263 (3 of 3 Based on Passage)

Appeared in Year: 2013

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लेखक किस ‘साधन’ का संदर्भ दे रहा है?

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Question 264

Appeared in Year: 2013

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वो कौन से प्रभाव है जो किसी अच्छे समाचार पत्र की गलत तस्वीर पेश करते है?

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Question 265

Appeared in Year: 2013

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लेखक किन लोगों को स्वीकृति नहीं प्रदान करता है?

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Passage

हम औद्योगीकरण के एक तेज दौर से गुजर रहे हैं तथा अपने उद्योगों में हम बड़ी संख्या में लोगों को नियुक्त कर रहे हैं। भारत में कुछ इस प्रकार की धारणा-सी जान पड़ती है कि आप जिस विशेष कार्य को करना चाहते हैं उसके विषय में कितना जानते हैं इस बात का महत्व नहीं है, इससे अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि आप किसे जानते हैं - ताकि रोजगार पाने के लिए प्रभाव का उपयोग किया जा सके। लोग यह नहीं सोचते कि अच्दे परिणामों के लिए योग्यता आवश्यक है। हमारी शिक्षा में उत्कृष्टता के विकास का एक सुनिश्चित महत्व वाला स्थान है और यदि उत्कृष्टता के विकास को महत्व नहीं दिया जाता है तो इससे योग्यता का अपमान होता है। इस बात सक एक ओर तो हमारी शिक्षा प्रणाली विषाक्त और दूषित होती है तथा दूसरी ओर सामाजिक शिक्षा के लिए आन्दोलन प्रारम्भ करने की इच्छा का गलता घुट जाता है।

जब किसी पुल का निर्माण किया जाता है अथवा सड़क बनाई जाती है तो बालू, सीमेन्ट, चूने आदि के उचित मिश्रण के लिए एक निश्चित अनुपात का अनुसरण किया जाता है ताकि पुल और सड़क का निर्माण अच्छा हो सके और वे अधिक समय तक बने रहें। किन्तु हमारा अनुभव इस विषय में हमें अध: पतन की कहानी ही सुनाता है और हमें पता चलता है कि किसी बाँध में दरारें आ गई है या कोई सड़क वर्षा के कारण बह गई है।

यह विषय गुणवत्ता नियंत्रण से जुड़ा हुआ है, जिसका सम्बन्ध केवल भौतिक सामग्री से नहीं है अपितु मनुष्यों तथा उनके उत्तरदायित्व विषयक बोध से भी है।

दुर्भाग्यवश हमारी प्रजातांत्रिक व्यवस्था से ऐसी कुछ परिस्थितियों का निर्माण होता है, जिनमें योग्यता को एक व्यवस्थित रूप से उपेक्षित किया जाता है और लोगों को यह कहते हुए सुना जाता है कि इस देश में गुण का कोई महत्व नहीं है। इस बात से यह भावना उत्पन्न होती है कि यहाँ योग्यता, कार्यक्षमता और नैतिक औचित्य को महत्व दिये बिना कोई भी लोक सेवा का पद प्राप्त किया जा सकता है और सार्वजनिक कार्य किया जा सकता है।

Question 266 (1 of 6 Based on Passage)

Appeared in Year: 2013

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इस देश में लोग अच्छा रोजगार पाने के विषय में क्या सोचते हैं?

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