CTET (Central Teacher Eligibility Test) Paper-II Hindi: Questions 207 - 211 of 1991

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Question 207

Question MCQ▾

निम्नलिखित में से कौनसा स्वर भक्ति उच्चारण दोष का उदाहरण है?

Choices

Choice (4)Response

a.

‘अमृत’ को ‘अम्रित’ कहना

b.

‘क्षत्रिय’ को ‘छत्री’ कहना

c.

‘बृजेन्द्र’ को बढ़ाकर ‘बरजेन्दर’ कहना

d.

‘स्नान’ को ‘अस्नान्’ कहना

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Question 208

Question MCQ▾

श्रव्य-दृश्य साधनों के प्रयोग का तर्काधार इस तथ्य पर आधारित है कि

Choices

Choice (4)Response

a.

यह मात्र किसी चीज को करने का दूसरा तरीका है

b.

इससे हमारी दोनों इन्द्रियाँ सक्रिय हैं

c.

इससे अध्यापन-अधिगम प्रक्रिया सुगम हो जाती है

d.

इससे अधिगम स्थूल हो जाता है

Edit

Question 209

Question MCQ▾

लगभग दो साल के बच्चे तार वाली भाषा (टेलीग्राफिक स्पीच) का प्रयोग करते हैं। तार वाली भाषा का अर्थ है

Choices

Choice (4)Response

a.

मुख्य अर्थि को व्यक्त करने वाले संज्ञा, क्रिया, विशेषण आदि दो शब्दों वाली अभिव्यक्ति

b.

तार में प्रयुक्त होने वाले शब्दों का प्रयोग

c.

संक्षिप्त वाक्यों का प्रयोग करना

d.

अंग्रेजी शब्दों का उपयोग

Edit

Passage

भारतीय साहित्य भारतीय संस्कृति के आधार पर विकसित हुआ है। इस संस्कृति में भारतीयता के बीच समाहित है। जब कभी भी भारतीय अपनी पहचान का व्याख्यान करने को उत्सुक होता है, उसे अपने जोड़ से जोड़कर देखना चाहता है। यह केवल भारत व भारतीय के लिए ही आवश्यक नहीं है, बल्कि किसी भी देश के प्रान्त से जुड़ा हुआ मसला है। अपने को अन्य से जोड़कर तर्क दिए जाते हैं। उसे अपनी जड़ से जोड़कर ही देखते हैं। वर्तमान में भारतीय संस्कृति व सभ्यता के बीच उपजे हुए विषय वस्तु को ही आधार बनाकर अपनी पहचान को जोड़ते हैं, जिसके कारण दक्षिण भारतीय या उत्तर सभी भारतीय संस्कृति के टूटी कडियों से जोड़क अपने आपको अलग स्थापित करते हैं। इसका परिणाम भारतीय स्तर पर विखण्डन के रूप में भी देखने को मिलता है। इस परिणाम के तहत भाषा व संस्कृति के आधार पर विभिन्न प्रान्तों का निर्माण भी सम्भव हो गया। यदि यही विखण्डित समाज भारतीय संस्कृति के मूल से जोड़कर अपने को देखता होता तो भाषायी एकता भी बनती और क्षेत्रवाद का काला धुंआ, जो भारतीय आकाश पर मण्डरा रहा है, उसके उत्पत्ति ही सम्भव नहीं हो पाती। इस संदर्भ में भारतीयता व उसके समीप उपजे साहित्य को सीमाओं में जांचना जरूरी है। इसकी प्रकृति की खोज और इसके परिणामों की व्याख्या भारतीय साहित्य व भारतीयता के संदर्भ में खोजने होंगे।

भारतीयता के संदर्भ में साहित्य और समाज के संबंधों को समझना आवश्यक है। साहित्य का जन्म समाज में ही सम्भव हो सकता है, इसलिए मानवीय संवेदनाओं को हम उनकी अभिव्यक्ति के माध्यम से समझ सकते हैं। यह अभिव्यक्ति समाज और काल में अलग-अलग रूपों में प्रकट हुई है। यदि हम पाषाण काल के खण्डों और उसके वन में ही रहने वालों की स्थिति को देखें, तो उनके विचार शब्दों में नहीं बल्कि रेखाचित्रों में देखने को मिलते हैं। कई गुफाओं में इन समाजों की अभिव्यक्ति को पत्थर पर खुदे निशानों में देख सकते हैं। इन रूपों में उनके जन-जीवन में घटने वाली घटनाओं को प्रदर्शित करते नजर आते हैं। उनमें शिकार करते आदिमानव को देख सकते हैं जो जीवन यापन के साधन हों। उन चित्रों में हल चलाने वाले किसानों की अभिव्यक्ति नहीं मिलती। इससे इस बात की पुष्टि होती है कि वह समाज वनाचरण व्यवस्था में ही सिमटी या उनका जीवन यापन शिकार पर ही केन्द्रित या सभ्यता के विकास की गाथा उसके जीवन में नहीं गाई जा रही थी। लेकिन समय की पहली धारा में जो प्रभाव देखे जाते है, वह सभ्यता के रूप में गिरे पड़े टूटे-फूटे प्राप्त ऐतिहासिक खोज में देख सकते हैं।

Question 210 (1 of 9 Based on Passage)

Question MCQ▾

भारतीयता को समझने के लिए निम्नलिखित में से किसे समझना आवश्यक है?

Choices

Choice (4)Response

a.

भारतीय साहित्य को

b.

भारतीय साहित्य और समाज के संबंधों को

c.

भारतीय समाज को

d.

None of the above

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Question 211 (2 of 9 Based on Passage)

Question MCQ▾

भारतीय साहित्य किसके आधार पर विकसित हुआ है?

Choices

Choice (4)Response

a.

भारतीय संस्कृति

b.

भारतीय समाज

c.

भारतीय इतिहास

d.

भारतीय राजनीति

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