क्षितिज(Kshitij-Textbook)-Additional Questions [CBSE (Central Board of Secondary Education) Class-10 (Term 1 & 2 MCQ) Hindi]: Questions 840 - 850 of 1621

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Question 840

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कवि ऋतुराज अपने आस-पास किन घटनाओं को बहुत बारिकी से देखते हैं?

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Question 841

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कवि ऋतुराज जी को कौन-कौन से विशिष्ट पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है?

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Question 842

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तुलसीदास जी नेे अपनी रचनाओं में किन भाषाओं के भी प्रचलित शब्दों को अपनाया है।

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Question 843

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सूरदास जी को किस रस का सम्राट माना जाता हैं?

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Question 844

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माथुर जी दव्ारा रचित कविताएं क्या प्रकट करती है?

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Passage

(4)

कौसिक सुनहु मंद येहु बालकु। कुटिलु कालबस निज कुल घालकु।।

भानुबंस राकेस कलंकू। निपट निरंकुसु अबुधु असंकू।।

कालकवलु होइहि छन माहीं। कहौं पुकारि खोरि माहि नाहीं।।

तुम्ह हटकहु जौ चहहु उबारा। कहि प्रतापु बलु रोषु हमारा।।

लखन कहेउ मुनि सुजसु तुम्हारा। तुम्हहि अछत को बरनै पारा।।

अपने मुहु तुम्ह आपनि करनी। बार अनेक भाँति बहु बरनी।।

नहि संतोषु त पुनि कछु कहहु। जनि रिस रोकि दुसह दुख सहहु।।

बीरब्रती तुम्ह धीर अछोभा। गारी देत न पावहु सोभा।।

सूर समर करनी करहिं कहि न जनावहिं आपु।

बिद्यमान रन पाइ रिपु कायर कथहिं प्रतापु।।

Question 845 (1 of 5 Based on Passage)

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तुलसीदास जी दव्ारा रचित प्रस्तुत प्रसंग में किस बात का वर्णन किया है?

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तुलसीदास जी दव्ारा रचित प्रसंग में कवि ने श्री राम के माध्यम से शिवजी का धनुष तोड़े जाने और अत्यधिक गुस्से की अवस्था में परशुरामजी के स्वयंवर के उत्सव में आने के बाद परशुराम और लक्ष्मण के संवाद का वर्णन किया है।

क्योंकि-वह शिव जी का धनुष होने के कारण परशुराम जी के लिए अमूल्य धनुष था। अर्थात परशुराम जी का प्रिय धनुष था।

प्रसंग-तुलसीदास जी दव्ारा रचित …

… (1993 more words) …

Question 846 (2 of 5 Based on Passage)

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तुलसीदास जी दव्ारा रचित प्रस्तुत प्रसंग में परशुराम जी विश्वामित्र जी को संबोधित करते हुए क्या कहते हैं?

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हे विश्वामित्र! सुनो, यह बच्चा बड़ा ही बुदव्हीन अर्थात मंदबुद्धि है। यह नालायक है समय के वशिभूत होकर अपने खानदान का खतरा बन रहा हैं यह सूर्यवंश रूपी चंद्र के लिए कलंक अर्थात दाग है। यह बहुत ही जिद्दी, शैतान, मूर्ख और निडर है। यह अभी एकपल में ही काल का निवाला बन जाएगा। मैं जोर दे कर कह रहा हूँ, बाद में मेरी कोई गलती मत कहना कि मेनें कोई चेतावनी नहीं…

… (2454 more words) …

Question 847 (3 of 5 Based on Passage)

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तुलसीदास जी दव्ारा रचित प्रस्तुत प्रसंग में परशुराम जी के उपरोक्त वचन सुनकर लक्ष्मण ने क्या कहा?

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परशुराम जी की यह सब बातें सुनकर लक्ष्मण जी ने फिर कहा कि हे मुनि! आपके यश का वर्णन आपके सिवाय और कौन कर सकता है? आपने अपने ही मुंह से अपने कार्यो का उल्लेख अनेकों बार कई प्रकार से किया हैं यदि इतना कहने पर भी आपको धीरज नहीं हुआ है। तो फिर से कुछ ओर कह डालिए। अपने गुस्से को रोककर न सहने वाले दु: ख को मत सहिये। आप वीरता के व्रत को धारण करने वाले हैं,…

… (2512 more words) …

Question 848 (4 of 5 Based on Passage)

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तुलसीदास जी दव्ारा रचित उपरोक्त प्रंसग का भाव-सौंदर्य क्या हैं?

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तुलसीदास जी दव्ारा रचित प्रसंग के भाव-सौदर्य में कवि ने यह बताया है कि परशुराम जी ने लक्ष्मण को डराना चाहा है किन्तु लक्ष्मण जी ने उस डर को अस्वीकारते हुए यह कहा है कि जो लोग सही में वीर होते है वे अपनी प्रशंसा अपने आप नहीं करते हैं। वीर लोग अपनी प्रशंसा करने की अपेक्षा साक्षात युद्धभूमि में ही अपनी वीरता को साबित करके बताते हैं। अर्थात युद्धभूमि म…

… (2188 more words) …

Question 849 (5 of 5 Based on Passage)

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तुलसीदास जी दव्ारा रचित उपरोक्त प्रंसग का शिल्प-सौंदर्य क्या हैं?

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Explanation

तुलसीदास जी दव्ारा रचित उपरोक्त प्रंसग का शिल्प-सौंदर्य है कि कवि ने यहाँ पर परशुराम के माध्यम से विश्वामित्र को कौसिक अर्थात विश्वामित्र का नाम लेकर बोला है। इसके साथ इस प्रसंग में अलंकारों, शैली, मुहावरे, भावों, रसों, भाषा, दोहा, छंद आदि का सुंदर समन्वय किया गया है।

क्योंकि- तुलसीदास जी दव्ारा रचित उपरोक्त प्रंसग का शिल्प-सौंदर्य ओर अधिक बेहतर बन …

… (2045 more words) …

Question 850

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माथुर जी दव्ारा रचित काव्यों पर किसका प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है?

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