कृतिका (Kritika-Textbook)-Prose (CBSE (Central Board of Secondary Education- Board Exam) Class-10 Hindi): Questions 206 - 222 of 461
Get 1 year subscription: Access detailed explanations (illustrated with images and videos) to 2295 questions. Access all new questions we will add tracking exam-pattern and syllabus changes. View Sample Explanation or View Features.
Rs. 1650.00 or
Passage
एकाएक मेरा मानसिक चैनल बदला। मन पीछे घूम गया। इसी प्रकार एक बार पलामू और गुमला के जंगलों में देखा था… पीठ पर बच्चों को कपड़े से बाँधकर पत्तों की तलाश वन-वन डोलती आदिवासी युवतियाँ। उन युवतियों के फूले हुए पांव और पत्थर तोड़ती पहाड़िनों के हाथों में पड़े ठाठे (हाथ में पड़ने वाली गांठे या निशान), एक ही कहानी कह रहे थे कि आम ज़िंदगियों की कहानी हर जगह एक-सी है कि सारी मलाई एक तरफ़; सारे आँसू, अभाव, यातना और वंचना एक तरफ़!
Question number: 206 (2 of 3 Based on Passage) Show Passage
» कृतिका (Kritika-Textbook) » Prose » साना-साना हाथ जोड़ि
Write in Short
लेखिका आदिवासी की कौनसी कहानी कह रहे थे?
Question number: 207 (3 of 3 Based on Passage) Show Passage
» कृतिका (Kritika-Textbook) » Prose » साना-साना हाथ जोड़ि
Write in Short
आदिवासी युवतियाँ क्या तलाश रही थी?
Passage
’देवरा से पूछत’ कहते-कहते वह बिजली की तरह एकदम घूमी और जमादार अली सगीर की ओर देख उसने लजाने का अभिनय किया। उसकी आँखों से आँसू की बूँदे छहर उठीं, या यों कहिए कि वे पानी की कुछ बूँदे भी जा वरुणा में टुन्नू की लाश फेंकने से छिटकीं और अब दुलारी की आँखों में प्रकट हुईं। वैसा रूप पहले कभी न दिखाई पड़ा था- आँधी में भी नहीं, समुद्र में भी नहीं, मृत्यु के गंभीर आविर्भाव में भी नहीं।”
“सत्य है, परंतु छप नहीं सकता”, संपादक ने कहा।
Question number: 208 (1 of 4 Based on Passage) Show Passage
» कृतिका (Kritika-Textbook) » Prose » एही ठैयाँ झुलती हेरानी हो रामा!
Describe in Detail
संपादक के अनुसार दुलारी का कौनसा रूप देखने को नहीं मिला?
Explanation
… (562 more words) …
Question number: 209 (2 of 4 Based on Passage) Show Passage
» कृतिका (Kritika-Textbook) » Prose » एही ठैयाँ झुलती हेरानी हो रामा!
Write in Short
दुलारी किस-किस से पूंछ रही थी? अपने खोए हुए गहने के बारे में।Question number: 210 (3 of 4 Based on Passage) Show Passage
» कृतिका (Kritika-Textbook) » Prose » एही ठैयाँ झुलती हेरानी हो रामा!
Write in Short
दुलारी ने लजाने का अभिनय किसकी ओर घूम कर किया?
Question number: 211 (4 of 4 Based on Passage) Show Passage
» कृतिका (Kritika-Textbook) » Prose » एही ठैयाँ झुलती हेरानी हो रामा!
Write in Short
अंत में संपादक ने क्या कहा?
Passage
परंतु दुलारी के दिल की आग अब भी भट्टी की तरह जल रही थी। पड़ोसिनों ने उसकी कोठरी में आकर वह आग बुझाने के लिए मीठे वचनों की जल-धारा गिराना आरंभ किया। फलस्वरूप वह ठंडी भी होने लगी।
दुलारी बोली, “तुम्हीं लोग बताओ, कभी टुन्नू को यहाँ आते देखा है? ”
” यह तो आधी गंगा में खड़े होकर कह सकते हैं कि टुन्नू यहाँ कभी नहीं आता, ” झींगुर की माँ ने कहा। वह यह बात बिलकुल भूल गई थी कि उसने कुल दो घंटा पहले टुन्नू को दुलारी की कोठरी से निकलते देखा था। झींगुर की माँ की बात सुनकर अन्य स्त्रियाँ होंठो में मुसकराईं, परंतु किसी ने प्रतिवाद नहीं किया। दुलारी पुन: शांत हो चली। इतने में कंधे मे जाल डाले नौ-वर्षीय बालक झींगुर ने आँगन में प्रवेश किया और आते ही उसने ताज़ा समाचार सुनाया कि टुन्नू महाराज को गोरे सिपाहियों ने मार डाला और लाश भी उठा ले गए।
Question number: 212 (1 of 4 Based on Passage) Show Passage
» कृतिका (Kritika-Textbook) » Prose » एही ठैयाँ झुलती हेरानी हो रामा!
Write in Short
झींगुर ने क्या समाचार सुनाया?
Question number: 213 (2 of 4 Based on Passage) Show Passage
» कृतिका (Kritika-Textbook) » Prose » एही ठैयाँ झुलती हेरानी हो रामा!
Write in Short
झींगुर की माँ की बात सुनकर अन्य स्त्रियाँ क्या किया?
Question number: 214 (3 of 4 Based on Passage) Show Passage
» कृतिका (Kritika-Textbook) » Prose » एही ठैयाँ झुलती हेरानी हो रामा!
Write in Short
दुलारी के दिल की आग कैसी हो रही थी?
Question number: 215 (4 of 4 Based on Passage) Show Passage
» कृतिका (Kritika-Textbook) » Prose » एही ठैयाँ झुलती हेरानी हो रामा!
Write in Short
इस उपन्यास के अनुसार दुलारी का गुस्सा शांत करने के लिए पड़ोसिनों ने क्या किया?
Passage
अखबारों में सिर्फ़ इतना छपा कि नाक का मसला हल हो गया है और राजपथ पर इंडिया गेट के पास वाली जॉर्ज पंचम की लाट पर नाक लग रही है।
नाक लगने से पहले फिर हथियारबंद पहरेदारों को तैनाती हुई। मूर्ति के आस-पास का तालाब सुखाकर साफ़ किया गया। उसकी रबाव निकाली गई और ताजा पानी डाला गया ताकि जो ज़िंदा नाक लगाई जाने वाली थी, वह सुख न पाए। इस बात की खबर जनता को पता नहीं थी। यह सब तैयारियाँ भीतर-भीतर चल रही थीं। रानी के आने का दिन नज़दीक आता जा रहा था मूर्तिकार खुद अपने बताए हल से परेशान था। ज़िंदा नाक लाने के लिए उसने कमेटी वालों से कुछ और मदद माँगी। वह उसे दी गई। लेकिन इस हिदायत के साथ कि एक खास दिन हर हालत में नाक लग जानी चाहिए।
और वह दिन आया।
जॉर्ज पंचम की नाक लग गई।
Question number: 216 (1 of 3 Based on Passage) Show Passage
» कृतिका (Kritika-Textbook) » Prose » जॉर्ज पंचम की नाक
Write in Short
जिंदा नाक लगाने से पहले क्या किया गया?Question number: 217 (2 of 3 Based on Passage) Show Passage
» कृतिका (Kritika-Textbook) » Prose » जॉर्ज पंचम की नाक
Write in Short
अखबारों में क्या छपा था?
Question number: 218 (3 of 3 Based on Passage) Show Passage
» कृतिका (Kritika-Textbook) » Prose » जॉर्ज पंचम की नाक
Write in Short
नाक लगाने वाली बात किसको पता नहीं थी?
Passage
टुन्नू ने जवाब नहीं दिया। उसकी आँखों से कज्जल-मलिन आँसुओं की बूंदे नीचे सामने पड़ी धोती पर टप-टप टपक रही थीं। दुलारी कहती गई…।
टुन्नू पाषाण-प्रतिमा बना हुआ दलारी का भाषण सुनता जा रहा था। उसने इतना ही कहा, “मन पर किसी का बस नहीं, वह रूप या उमर का कायल नहीं होता।” और कोठरी से बाहर निकल वह धीरे-धीरे सीढ़ियाँ उतरने लगा। दुलारी भी खड़ी-खड़ी उसे देखती रही। उसकी भौं अब भी वक्र थी, परंतु नेत्रों ने कौतुक और कठोरता का स्थान करुणा की कोमलता ने ग्रहण कर लिया था। उसने भूमि पर पड़ी धोती उठाई, उस पर काजल से सने आँसुओं के धब्बे पड़ गए थे। उसने एक बार गली में जाते हुए टुन्नू की ओर देखा और फिर स्वच्छ धोती पर पड़े धब्बों को वह बार-बार चूमने लगी।
Question number: 219 (1 of 2 Based on Passage) Show Passage
» कृतिका (Kritika-Textbook) » Prose » एही ठैयाँ झुलती हेरानी हो रामा!
Write in Short
टुन्नू क्या कर रहा था?
Question number: 220 (2 of 2 Based on Passage) Show Passage
» कृतिका (Kritika-Textbook) » Prose » एही ठैयाँ झुलती हेरानी हो रामा!
Write in Short
धोती पर क्या टपक रहा था?
Passage
दनादन फ़ोटो खिंचलाने की बजाय मैं उस सारे परिदृश्य को अपने भीतर लगातार खींच रही थी जिससे महानगर के डार्क रूम में इसे फिर-फिर देख सकूँ। संपूर्णता के उन क्षणों में यह हिमशिखर मुझे मेरे आध्यात्मिक अतीत से जोड़ रहे थे। शायद ऐसी ही विभोर कर देने वाली दिव्यता के बीच हमारे ऋषि-मुनियों ने वेदों की रचना की होगी। जीवन सत्यों को खोजा होगा।’सर्वे भवंतु सुखिन: ’ का महामंत्र पाया होगा। अंतिम संपूर्णता का प्रतीक वह सौंदर्य ऐसा कि बड़ा से बड़ा अपराधी भी इसे देख ले तो क्षणों के लिए ही सही ’करुणा का अवतार’ बुद्ध बन जाए।
Question number: 221 (1 of 3 Based on Passage) Show Passage
» कृतिका (Kritika-Textbook) » Prose » साना-साना हाथ जोड़ि
Write in Short
हिमशिखरों के बीच ऋषि-मुनियों ने क्या किया था?
Question number: 222 (2 of 3 Based on Passage) Show Passage
» कृतिका (Kritika-Textbook) » Prose » साना-साना हाथ जोड़ि
Write in Short
फोटा खिंचवाने की बजाय लेखिका क्या रही थी?