CBSE (Central Board of Secondary Education) Class-10 (Term 1 & 2 MCQ) Hindi: Questions 1929 - 1941 of 2295

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Question 1929

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नागार्जुन जी दव्ारा रचित काव्यों में ओर किसका चित्रण हुआ है?

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Passage

अट नहीं रही है

(1)

अट नहीं रही है

आभा फागुन की तन

सट नहीं रही है।

(2)

कहीं साँस लेेते हो,

घर-घर भर देते हो,

उड़ने को नभ में तुम

पर-पर कर देते हो,

आँख हटाता हूँ तो

हट नहीं रही है।

(3)

पत्तों से लदी डाल

कहीं हरी, कहीं लाल,

कहीं पड़ी है उर में

मंद-गंध- पुष्प-माल,

पाट-पाट शोभा-श्री

पट नहीं रही है।

Question 1930 (1 of 9 Based on Passage)

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छायावाद की एक खास विशेषता है अंतर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। कविता की किन पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है? लिखिए।

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Question 1931 (2 of 9 Based on Passage)

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कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है?

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Question 1932 (3 of 9 Based on Passage)

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प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किन रूपों में किया है?

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Question 1933 (4 of 9 Based on Passage)

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फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता हैं?

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Question 1934 (5 of 9 Based on Passage)

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होली के आस-पास प्रकृति में जो परिवर्तन दिखाई देते हैं, उन्हें लिखिए।

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Question 1935 (6 of 9 Based on Passage)

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काव्य के दो पक्ष कौन-कौन से होते है?

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Question 1936 (7 of 9 Based on Passage)

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अनुभूति से तात्पर्य किससे हैं?

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Question 1937 (8 of 9 Based on Passage)

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अभिव्यक्ति पक्ष से क्या तात्पर्य है?

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Question 1938 (9 of 9 Based on Passage)

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नाद-सौंदर्य क्या कहलाता है?

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Question 1939

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जयशंकर प्रसाद के पिता देवी प्रसाद जी किस प्रकार के व्यक्ति थे?

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Explanation

उनके पिता देवी प्रसाद जी बड़े धर्म-परायण और उदार-हृदय के व्यक्ति थे।

क्योंकि-हर व्यक्ति अपना एक स्वभाव या व्यवहार होता हैं।

“छायावाद के श्रेष्ठ कवि जयशंकर प्रसाद एक ऐसे विलक्षण एवं विराट व्यक्तित्व को लेकर अवतरित हुए थे, जिसमें विभिन्न प्रकार की साहित्यिक प्रतिभाएँ समिश्रित व विद्यमान थीं। जो कि युग-युग से चली आ रही प्राचीन धारा को एक नवीन मोड़ देने …

… (1250 more words) …

Passage

(2)

यह विडंबना! अरी सरलते तेरी हँसी उड़ाऊँ मैं।

भूले अपनी या प्रवंचना औरों की दिखलाऊँ मैं।

उज्ज्वल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की।

और खिल-खिला कर हँसते होने वाली उन बातों की।

Question 1940 (1 of 4 Based on Passage)

Describe in Detail Subjective▾

जयशंकर दव्ारा रचित प्रस्तुत प्रसंग में कवि क्या कहना चाह रहा है?

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Explanation

जयशंकर प्रसाद दव्ारा रचित प्रस्तुत पद में कवि कह रहा है कि कवि अपने जीवन की कहानी को एक साधारण व्यक्ति की कहानी बताता है। वह अपने सरलरूपी सीधे साधे जीवन का मजाक करवाने के पक्ष में नहीं है।

क्योंकि-कवि कहता जैसे सब लोगो के जीवन में पीड़ा व दुख है उसी तरह मेरा भी जीवन है इसलिए इसे बताने से कोई मतलब नहीं हैं। उल्टा सब लोग उस पर हँसेगे ही।

प्रसंग-जयशंकर …

… (1288 more words) …

Question 1941 (2 of 4 Based on Passage)

Describe in Detail Subjective▾

जयशंकर दव्ारा रचित प्रस्तुत प्रसंग में कवि अपने जीवन के माध्यम से क्या बताना चाह रहा है?

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Explanation

कहानी के माध्यम से कवि यह कह रहा है कि या तो कवि अपने जीवन में मिलने वाले धोखों को भूल जाएं या फिर दूसरों के दव्ारा दिए गए धोखे के कार्यों का वर्णन करें। कवि किस तरह से सुखी जीवन की साफ निर्मल कहानी का वर्णन करें? कवि कह रहा है कि जीवन में खिल-खिलाकर हँसने वाली बातों का कवि किस प्रकार वर्णन करें? अर्थात कवि जीवन की कहानी को किस तरह सब लोगों के सामन…

… (1532 more words) …